कबीर ग्रन्थावली का परिमार्जित पाठ: दलपत सिंह राजपुरोहित
श्यामसुन्दर दास द्वारा संपादित और नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा 1928 में प्रकाशित ‘कबीर ग्रन्थावली’ का परिमार्जित पाठ विख्यात आलोचक-लेखक पुरुषोत्तम ...
Home » देशज आधुनिकता
श्यामसुन्दर दास द्वारा संपादित और नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा 1928 में प्रकाशित ‘कबीर ग्रन्थावली’ का परिमार्जित पाठ विख्यात आलोचक-लेखक पुरुषोत्तम ...
यथास्थितिवाद और आधुनिकता का द्वंद्व मनुष्य जाति के सबसे पुराने और अब तक असमाप्त द्वन्द्वों में से एक है. इसे ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum