मीडिया का लोकतंत्र : अरविंद दास
आलोचनात्मक विवेक के प्रसार की अपनी ज़िम्मेदारी से आज हिंदी मीडिया दूर जा चुकी है. वह अधिकांशतः कारोबारी है. जिस ...
Home » मीडिया और लोकतंत्र
आलोचनात्मक विवेक के प्रसार की अपनी ज़िम्मेदारी से आज हिंदी मीडिया दूर जा चुकी है. वह अधिकांशतः कारोबारी है. जिस ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum