राजभाषा : अंतर्विरोध और बुनियादी सरोकार : मोहसिन ख़ान
भाषा त्वचा की तरह होती है. क्या कभी त्वचा भी बदली जा सकती है. इस देश की विडम्बनाओं का कोई ...
Home » राजभाषा
भाषा त्वचा की तरह होती है. क्या कभी त्वचा भी बदली जा सकती है. इस देश की विडम्बनाओं का कोई ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2022 समालोचन | powered by zwantum