ग़ालिब: तशरीह: नरगिस फ़ातिमा
ग़ालिब मुश्किल शायर हैं. और यह कि ज़बान पर भी वही हैं. ढहती हुई मुग़लिया सल्तनत की सीढ़ियों से उतरते ...
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ग़ालिब मुश्किल शायर हैं. और यह कि ज़बान पर भी वही हैं. ढहती हुई मुग़लिया सल्तनत की सीढ़ियों से उतरते ...
कवि त्रिलोचन की मानें तो- ‘ग़ालिब गैर नहीं हैं, अपनों से अपने हैं.’ हिंदी को भले ही उर्दू से परहेज़ ...
सच्चिदानंद सिंह ग़ालिब के गम्भीर अध्येता हैं. ग़ालिब पर केन्द्रित यह उनका चौथा आलेख है इससे पहले आपने ‘दस्तंबू’, ‘ग़ालिब ...
दिल्ली के लिए कभी मीर ने कहा था - ‘दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सके / पछताओगे ...
मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के साथ फ़ारसी के भी महान शायर हैं. आहत और विद्रोही. बकौल अली सरदार ज़ाफरी ग़ालिब ने ...
मिर्ज़ा असदुल्लाह खां ग़ालिब (27 दिसम्बर 1797- 15फरवरी 1869) पर अगर बातें हों तो वे भी उनकी शायरी की ही ...
महाकवि ग़ालिब का ‘दस्तंबू’ जिसे १८५७ के महाविद्रोह की डायरी कहा जाता है, अदब के लिहाज़ से मानीखेज़ तो है ...
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