शमशेर : रचना की संरचना : विनोद तिवारी
पाठकों का कवि होकर ही कोई कवियों का कवि हो सकता है. शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं को लेकर ...
पाठकों का कवि होकर ही कोई कवियों का कवि हो सकता है. शमशेर बहादुर सिंह की कविताओं को लेकर ...
(Sarmad Shahid : painting by Sadequain)‘मंसूर की ख़ता न थी साकी ने सब कियाइतनी कड़ी पिला दी कि दीवाना कर ...
सुप्रसिद्ध राजनीति-वैज्ञानिक और विचारक रजनी कोठारी (६ अगस्त १९२८ – १९ जनवरी २०१५) की कालजयी कृति ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया’ का प्रकाशन ...
शायर शहरयार और अफ़सानानिगार क़ाज़ी अब्दुल सत्तार समकालीन थे और अलीगढ़ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में साथ थे. दोनों का ...
यह फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म शताब्दी वर्ष है, रेणु के लेखन के विविध आयामों को समझने के प्रयास हो रहें ...
फणीश्वरनाथ रेणु के जन्म शताब्दी वर्ष के सिलसिले में समालोचन प्रेमकुमार मणि का रेणु की कहानियों पर आधारित यह आलेख ...
१९ वीं और २० वीं सदी की संधि बेला हिंदुस्तान में कला, संगीत, नृत्य के लिए किसी आपदा से कम ...
स्वाधीन भारत के इस कोरोना काल में मजदूरों की जो दुर्दशा हो रही है, वह अमानवीय तो है ही औपनिवेशिक ...
महामारी के आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक आयामों पर चर्चा कर रहें हैं नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय के वरिष्ठ शोध सहायक सौरव कुमार राय
कोरोना जैसी महामारियाँ सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक के साथ-साथ नैतिक संकट भी खड़ा करती हैं. अब तक अर्जित और प्रचारित सभी ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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