लाल्टू की कविताएँ
कथ्य अपना शिल्प तलाश लेता है, जैसा समय है और जिन नुकीले संकटों से हम जूझ रहें हैं, उन्हें व्यक्त ...
कथ्य अपना शिल्प तलाश लेता है, जैसा समय है और जिन नुकीले संकटों से हम जूझ रहें हैं, उन्हें व्यक्त ...
रंजना अरगडे का कवि शमशेरबहादुर सिंह पर आलोचनात्मक कार्य महत्वपूर्ण माना जाता है. इधर वे सृजनात्मक लेखन की तरफ उन्मुख ...
प्रमोद जयपुर में रहते हैं. वे बच्चों के लिए भी लिखते हैं. उनकी लिखी बच्चों की कहानियों की कुछ किताबें ...
कवि यतीश कुमार ने इधर ध्यान खींचा है, कविता के शिल्प के प्रति सतर्क हैं. लगातार प्रयोग कर रहें हैं ...
‘संतन को कहा सीकरी सों काम?आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम।।जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी ...
कुछ कवि कविता में रहते-रहते खुद कविता की तरह लगने लगते हैं जैसे निराला, शमशेर, जैसे मुक्तिबोध जैसे आलोकधन्वा.स्वप्निल श्रीवास्तव ...
लवली गोस्वामी की कविताएँ और मैं क्यों लिखती हूँ.
मनोज मल्हार की फिल्मों और नाटकों में भी रुचि है, समालोचन पर उनकी कविताएँ पहली बार आ रहीं हैं. इन ...
मेरा चेहरा किसी फूल-सा हो सकता थाखिली धूप में चमकता हुआ !वरिष्ठ कवयित्री सविता सिंह की कविताएँ भारतीय स्त्री की ...
निलय उपाध्याय :२८- जनवरी,१९६३, आरा (बिहार)कवि - लेखकअकेला घर हुसैन का (१९९४), कटौती (२००१) : कविता संग्रह अभियान (२००५) : ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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