समलैंगिकता, सेक्सुअलिटी और सिनेमा: आशीष कुमार
समाज में पुरुष-समलैंगिकता लज्जा और उत्पीड़न तथा फिल्मों में उपहास का विषय रही है. इधर कुछ संवेदनशील निर्देशकों ने इस ...
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समाज में पुरुष-समलैंगिकता लज्जा और उत्पीड़न तथा फिल्मों में उपहास का विषय रही है. इधर कुछ संवेदनशील निर्देशकों ने इस ...
फ़िल्म पाकीज़ा हिंदी सिनेमा के संवेदनशील अंकन, भावप्रवण अभिनय और कलात्मक दृश्य-विधान का उत्कर्ष है, इसमें किसी महाकाव्य जैसी गहराई ...
अभिनेत्री साधना के जीवन पर आधारित प्रबोध कुमार गोविल की किताब ‘ज़बाने यार मनतुर्की’ का प्रकाशन बोधि ने किया है. ...
‘जब ज़ुल्फ़ की कालक में घुल जाए कोई राहीबदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता.’ ‘सहर से शाम हुई शाम को ये ...
इसी कोरोना काल में ‘टॉम एंड जैरी’ के शिल्पकार जीन डाइच का ९५ वर्ष की अवस्था में १६ अप्रैल को ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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