• मुखपृष्ठ
  • समालोचन
  • रचनाएँ आमंत्रित हैं
  • वैधानिक
  • संपर्क और सहयोग
No Result
View All Result
समालोचन
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • आलेख
    • समीक्षा
    • मीमांसा
    • संस्मरण
    • आत्म
    • बहसतलब
  • कला
    • पेंटिंग
    • शिल्प
    • फ़िल्म
    • नाटक
    • संगीत
    • नृत्य
  • वैचारिकी
    • दर्शन
    • समाज
    • इतिहास
    • विज्ञान
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विशेष
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • आलेख
    • समीक्षा
    • मीमांसा
    • संस्मरण
    • आत्म
    • बहसतलब
  • कला
    • पेंटिंग
    • शिल्प
    • फ़िल्म
    • नाटक
    • संगीत
    • नृत्य
  • वैचारिकी
    • दर्शन
    • समाज
    • इतिहास
    • विज्ञान
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विशेष
No Result
View All Result
समालोचन

Home » सुखद अंत : मार्गरेट ऐटवुड: अनुवाद: सुशांत सुप्रिय

सुखद अंत : मार्गरेट ऐटवुड: अनुवाद: सुशांत सुप्रिय

Margaret Eleanor Atwood  reading her book The Year of the Flood बुकर पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री, कथाकार, आलोचक और पर्यावरण कार्यकर्ता मार्गरेट ऐटवुड (Margaret Eleanor Atwood, born November 18, 1939, ) की यह चर्चित कहानी 1983 में प्रकाशित हुई थी, इस कथा(Happy Endings)  को  \’metafiction\’ कहा गया है. सुखद अंत जैसी क्या कोई चीज होती है? […]

by arun dev
July 25, 2016
in अनुवाद
A A
फेसबुक पर शेयर करेंट्वीटर पर शेयर करेंव्हाट्सएप्प पर भेजें
Margaret Eleanor Atwood 
reading her book The Year of the Flood

बुकर पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री, कथाकार, आलोचक और पर्यावरण कार्यकर्ता मार्गरेट ऐटवुड (Margaret Eleanor Atwood, born November 18, 1939, ) की यह चर्चित कहानी 1983 में प्रकाशित हुई थी, इस कथा(Happy Endings)  को  \’metafiction\’ कहा गया है.

सुखद अंत जैसी क्या कोई चीज होती है?  जान और मैरी की कथा को लेखिका ने तरह-तरह से कहा है. अंत अंतत: मृत्यु है. 

बेहद दिलचस्प और मानीखेज कहानी. आपको जरुर पढनी चाहिए. हिंदी में इसे अनूदित किया है सुशांत सुप्रिय ने.



सुखद अंत                                                            
मार्गरेट ऐटवुड
अनुवाद : सुशांत सुप्रिय


 ( क)

जॉन और मैरी को एक-दूसरे से प्यार हो जाता है और वे शादी कर लेते हैं. वे दोनों अच्छी और फ़ायदेमंद नौकरियों में हैं जो उन्हें प्रेरक और चुनौतीपूर्ण लगती हैं. वे एक बड़ा प्यारा-सा मकान ख़रीद लेते हैं. बाज़ार में मकानों की क़ीमत बढ़ जाती है.

साथ रहते हुए जब वे इसके लिए तैयार होते हैं तो उनके दो बच्चे होते हैं. वे उनके प्रति बेहद समर्पित होते हैं. बच्चों का भविष्य उज्ज्वल रहता है. जॉन और मैरी का यौन-जीवन भी प्रेरक और चुनौतीपूर्ण रहता है. उनके कई अच्छे मित्र होते हैं. वे सब मौज-मस्ती भरी छुट्टियाँ बिताने एक साथ बाहर घूमने जाते हैं. फिर वे सेवानिवृत्त होते हैं. उन दोनों के कई शौक़ होते हैं जो उन्हें प्रेरक और चुनौतीपूर्ण लगते हैं. और अंत में उनकी मृत्यु हो जाती है. कहानी यहीं ख़त्म हो जाती है.

 ( ख)

मैरी को जॉन से प्यार हो जाता है लेकिन जॉन मैरी से प्यार नहीं करता है. वह मैरी के शरीर का इस्तेमाल केवल स्वार्थ-पूर्ण भोग-विलास तथा ओछे अहं की तुष्टि के लिए करता है. वह उससे मिलने उसके मकान पर हफ़्ते में दो बार आता है. मैरी उसके लिए रात का खाना बनाती है लेकिन आप पाएँगे कि जॉन उसे रात का खाना खिलाने के लिए कहीं बाहर ले जाने के योग्य भी नहीं समझता है. जब वह खाना खा लेता है, उसके बाद मैरी की देह को भोगता है और फिर वह सो जाता है. उधर मैरी सारे बर्तन धोती है ताकि जॉन गंदे बर्तनों को देखकर यह न सोचे कि वह घर को गंदा रखती है. इसके बाद वह अपने होठों पर लिपस्टिक लगाती है ताकि जब जॉन उठे तो मैरी उसे सुंदर लगे. 

लेकिन जब जॉन जागता है तो वह मैरी की ओर देखता भी नहीं बल्कि वह अपनी जुराब, अपनी निक्कर, अपनी पतलून, अपनी क़मीज़, अपनी टाइ और अपने जूते पहनने में व्यस्त हो जाता है. उसने इन चीज़ों को जिस क्रम में उतारा था, उसके उलटे क्रम में वह इन्हें पहनता जाता है. वह कभी मैरी के कपड़े नहीं उतारता, वह स्वयं इन्हें उतार लेती है. वह ऐसा अभिनय करती है जैसे वह यह सब करने के लिए बेताब हो. वह यह सब इसलिए नहीं करती क्योंकि उसे काम-क्रीड़ा अच्छी लगती है. दरअसल सच्चाई इसके विपरीत है.

असल में मैरी चाहती है कि जॉन को ऐसा लगे कि उसे यह सब करने में मज़ा आता है. वह सोचती है कि यदि वे दोनों अक्सर ऐसा करेंगे तो जॉन को वह अच्छी लगने लगेगी. फिर जॉन इस काम के लिए उस पर निर्भर हो जाएगा और तब वे दोनों शादी कर लेंगे. लेकिन जॉन बिना किसी अभिवादन के बाहर चला जाता है . तीन दिन बाद वह शाम छह बजे दोबारा मैरी के मकान पर आता है और फिर वे दोनों देह से खेलने की क्रिया को वैसे ही दोहराते हैं.

 मैरी अवसाद-ग्रस्त हो जाती है. रोने से उसके चेहरे का हुलिया बिगड़ जाता है. सभी यह बात जानते हैं. मैरी खुद भी यह जानती है लेकिन वह रोती रहती है, चुप नहीं हो पाती. उसके दफ़्तर में लोगों को यह बात पता चलती है. मैरी की महिला-मित्र उससे कहती हैं कि जॉन इंसान नहीं, चूहा है , सुअर है, कुत्ता है. वह मैरी के लायक नहीं है. लेकिन मैरी उनकी बातों पर यक़ीन नहीं करती. वह सोचती है कि जॉन के भीतर एक और जॉन है जो बहुत अच्छा है. यदि पहले वाले जॉन को ज़ोर से दबाया गया तो तो वह दूसरा जॉन उसके भीतर से इस तरह बाहर आ जाएगा जैसे कोये में से तितली बाहर आ जाती है,  जैसे बक्से के बटन को दबाने पर उस में से चमड़े का कोट पहने हुए सैनिक का खिलौना बाहर आ जाता है, जैसे आलूबुखारे में से गुठली बाहर आ जाती है.

एक शाम जॉन खाने के बेस्वाद होने के बारे में शिकायत करता है. इससे पहले उसने कभी खाने की आलोचना नहीं की . मैरी इससे आहत हो जाती है.

 मैरी के मित्र उसे बताते हैं कि उन्होंने जॉन को रेस्त्रां में मैज नाम की किसी और युवती के साथ देखा है. मैज भी मैरी को आहत नहीं कर पाती;  जो बात वाक़ई उसका दिल तोड़ देती है वह है रेस्त्रां. जॉन मैरी को खाना खिलाने के लिए कभी किसी रेस्त्रां में नहीं ले गया. मैरी बहुत सारी नींद की गोलियाँ और ऐस्प्रिन इकट्ठा करती है और फिर वह उन सारी गोलियों को आधी बोतल सफ़ेद शराब के साथ निगल जाती है. वह व्हिस्की का सहारा नहीं लेती — आप इसी तथ्य से इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि वह किस तरह की स्त्री थी. वह जॉन के लिए एक रुक्का छोड़ जाती है. वह उम्मीद करती है कि जॉन उसे इस हालत में देख लेगा और उसे समय रहते अस्पताल ले जाएगा.  उसे लगता है कि जॉन बाद में अपने किए पर पछताएगा और फिर वे दोनों शादी कर लेंगे,  किंतु ऐसा नहीं होता और मैरी की मौत हो जाती है.

जॉन मैज से ब्याह कर लेता है और फिर हर चीज़ वैसे ही चलती है जैसी \’क\’ में दिखाई गई है. 

 (ग)

अधेड़ उम्र के जॉन को मैरी से प्यार हो जाता है. मैरी केवल बाईस वर्ष की है.

मैरी को जॉन से सहानुभूति होती है क्योंकि वह अपने बालों के झड़ने से चिंतित रहता है. हालाँकि मैरी उससे प्यार नहीं करती फिर भी वह जॉन के साथ अपनी रातें बिताती है. वह अपने दफ़्तर में जॉन से मिली थी. मैरी जेम्स नाम के व्यक्ति से प्रेम करती है. जेम्स की उम्र भी बाईस साल की है लेकिन वह अभी गृहस्थी के बंधन में बँध कर बसना नहीं चाहता.

इसके विपरीत जॉन बहुत पहले ही बस चुका था — यही बात उसे सताती रहती है. जॉन के पास एक स्थायी और प्रतिष्ठित नौकरी है और वह अपने कार्य-क्षेत्र में प्रगति कर रहा है. लेकिन मैरी उससे प्रभावित नहीं है. वह जेम्स से प्रभावित है जिसके पास एक मोटरसाइकिल है और संगीत के कैसेट्स का शानदार संग्रह है. लेकिन जेम्स अकसर अपने मोटरसाइकिल पर शहर से बाहर घूमने निकल जाता है क्योंकि वह बंधनों से आज़ाद है. लड़कियों के लिए आज़ादी का वही मतलब नहीं होता. इसलिए मैरी बृहस्पतिवार की शामें जॉन के साथ बिताती है. जॉन को केवल बृहस्पतिवार की शाम को ही फ़ुर्सत मिलती है.
जॉन मैज नाम की महिला से विवाहित है और उनके दो बच्चे हैं. उनके पास एक मोहक मकान है जिसे उन्होंने मकानों की क़ीमत बढ़ जाने से ठीक पहले ख़रीदा था. उनके कई शौक़ हैं जो उन्हें तब प्रेरक और चुनौतीपूर्ण लगते हैं जब उनके पास समय होता है. जॉन अकसर मैरी को बताता है कि वह जॉन के लिए कितनी महत्वपूर्ण है लेकिन वह अपनी पत्नी को नहीं छोड़ सकता क्योंकि किसी रिश्ते के प्रति वचनबद्धता आख़िर वचनबद्धता है. वह इसके बारे में ज़रूरत से ज़्यादा सफ़ाई देता है और मैरी को यह उबाऊ लगता है. लेकिन ज़्यादा उम्र के पुरुष अपने अनुभव की वजह से आपको अधिक संतुष्ट कर सकते हैं. इसलिए कुल मिला कर मैरी का समय अच्छा ही बीतता है.

एक दिन जेम्स अपनी मोटरसाइकिल पर फ़र्राटे से आता है. उसके पास कैलिफ़ोर्निया में बनी जल्दी चढ़ जाने वाली देसी दारू होती है. वह दारू जेम्स और मैरी को इतनी चढ़ जाती है जितना आप सोच भी नहीं सकते. नशे की हालत में दोनों हमबिस्तर हो जाते हैं. सब कुछ तरल-सा,  पनीला-सा लगने लगता है, लेकिन तभी वहाँ जॉन आ पहुँचता है जिसके पास हमेशा मैरी के मकान की एक चाबी होती है. वह उन दोनों को आपस में लिपट कर बुत बने हुए देख लेता है. हालाँकि वह उनसे जलने की स्थिति में मुश्किल से ही है क्योंकि वह पहले से ही शादी-शुदा है — मैज उसकी पत्नी है. किंतु इसके बावजूद , उन दोनों को उस अंतरंग स्थिति में देखकर वह अवसाद में डूब जाता है. अब वह अधेड़ है, और दो साल बीतते-बीतते वह किसी अंडे जैसा गंजा हो जाएगा. वह यह सब नहीं सह पाता. यह कह कर वह एक छोटी बंदूक़ ख़रीदता है कि उसे निशाना लगाने के अभ्यास के लिए इसकी आवश्यकता है. यह कथानक का कमज़ोर हिस्सा है लेकिन इससे हम बाद में निपट सकते हैं. फिर जॉन जेम्स और मैरी को मार डालता है और इसके बाद अपनी जान भी ले लेता है.

मातम की उपयुक्त अवधि के बाद मैज फ़्रेड नाम के एक हमदर्द और समझदार आदमी से शादी कर लेती है. इसके बाद सब कुछ वैसा ही होता है जैसा \’क\’ में दिखाया गया है — केवल पात्रों के नाम बदल जाते हैं .

  (घ)

फ़्रेड और मैज के बीच कोई समस्या नहीं आती. वे बेहद अच्छी तरह एक-दूसरे के साथ समय गुज़ारते हैं और अगर छोटी-मोटी मुश्किलें आ भी जाती हैं तो वे उसे आसानी से हल कर लेते हैं. लेकिन उनका मोहक मकान समुद्र-तट के किनारे है और एक दिन एक विशालकाय ज्वारीय-लहर उस मकान तक पहुँच जाती है. उस इलाक़े के मकानों की क़ीमत गिर जाती है. बाक़ी की कथा इस बारे में है कि यह दैत्याकार लहर किस वजह से आई और वे लोग उससे कैसे बच पाए. वे लोग तो इससे बच जाते हैं लेकिन हज़ारों दूसरे लोग डूब जाते हैं. फ़्रेड और मैज नेक हैं और ख़ुशक़िस्मत भी. अंत में ऊँची जगह पर पहुँच कर वे एक -दूसरे से आलिंगन-बद्ध हो जाते हैं — भीगे और सिहरते हुए किंतु आभारी भी. इसके बाद सब कुछ \’ क\’ जैसा ही होता है.





 ( ङ )

जी हाँ, किंतु फ़्रेड को हृदय-रोग होता है. बाक़ी की कथा इस बारे में है कि वे दोनों तब तक कितने दयालु और समझदार होते हैं जब तक फ़्रेड की मृत्यु नहीं हो जाती. इसके बाद \’ क\’ के अंत तक मैज खुद को धर्मार्थ कार्यों के लिए समर्पित कर देती है. यदि आप चाहें तो आप इसे \’ मैज\’ , \’ कैंसर \’ और  \’ क़सूरवार और परेशान \’ आदि कह सकते हैं.





 (च)

यदि आप को यह सब ज़्यादा ही मध्यवर्गीय लगता है तो आप जॉन को एक क्रांतिकारी और मैरी को एक जवाबी-मुखबिर बना दें और देखें कि ऐसा करके आप कितनी दूर जा पाएँगे. याद रखिए, यह कैनेडा है. इस सब के बावजूद आप की परिणति \’ क \’ पर ही जा कर होगी , हालाँकि इसके बीच में आपको शायद वासनामय सम्बन्धों की एक कामुक, गुल-गपाड़े वाली विस्तृत कथा मिल जाए जो हमारे समय का एक तरह का इतिहास होगी.
आपको इस तथ्य का सामना करना ही होगा कि अंत को आप किसी भी तरह से तराश कर देखें, वे एक जैसे होते हैं. किसी अन्य प्रकार के अंत को देख कर छलावे में न आएँ– वे सभी झूठे होते हैं. या तो वे जान-बूझ कर झूठे बनाए गए होते हैं जिनका दुर्भावनापूर्ण उद्देश्य धोखा देना होता है या यदि वे अशिष्ट अति-भावुकता से प्रेरित नहीं होते तो महज़ अत्यधिक आशावादिता से अभिप्रेरित होते हैं.

एकमात्र प्रामाणिक अंत वह है जो यहाँ दिया जा रहा है :

जॉन और मैरी मर जाते हैं.
जॉन और मैरी मर जाते हैं.
जॉन और मैरी मर जाते हैं .
अंत तो ऐसे ही होते हैं. शुरुआत हमेशा ज़्यादा मज़ा देती है. लेकिन सच्चे पारखी बीच के हिस्से के क़द्रदान जाने जाते हैं क्योंकि इस हिस्से के बारे में कुछ भी कर पाना बेहद कठिन है.

कथानक के बारे में जो भी बातें कही जा सकती हैं वे ये ही हैं,  हालाँकि ये सब भी महज़ एक चीज़ के बाद दूसरी चीज़ की आवृत्ति ही हैं– एक क्या और एक और क्या और फिर एक और क्या.


अब कैसे और क्यों का प्रयोग कर के देखिए.

____________________


सुशांत सुप्रिय
A-5001,  गौड़ ग्रीन सिटी,   वैभव खंड, इंदिरापुरम,
ग़ाज़ियाबाद – 201010 
8512070086/ई-मेल : sushant1968@gmail.com 

Tags: मार्गरेट ऐटवुड
ShareTweetSend
Previous Post

तोड़ती पत्थर (निराला): शिव किशोर तिवारी

Next Post

मंगलाचार : संतोष अर्श (कविताएँ)

Related Posts

No Content Available

अपनी टिप्पणी दर्ज करें Cancel reply

समालोचन

समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.

  • Privacy Policy
  • Disclaimer

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2022 समालोचन | powered by zwantum

No Result
View All Result
  • समालोचन
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • आलोचना
    • आलेख
    • अनुवाद
    • समीक्षा
    • आत्म
  • कला
    • पेंटिंग
    • फ़िल्म
    • नाटक
    • संगीत
    • शिल्प
  • वैचारिकी
    • दर्शन
    • समाज
    • इतिहास
    • विज्ञान
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विशेष
  • रचनाएँ आमंत्रित हैं
  • संपर्क और सहयोग
  • वैधानिक