हिन्दू पानी – मुस्लिम पानी
जयपुर. धर्म के प्रति निष्ठा होने और साम्प्रदायिक होने में बहुत अंतर है. किसी भी धर्म को मानने वाला अपने धार्मिक विश्वासों पर अडिग रहते हुए जनहित में काम कर सकता है. लेकिन साम्प्रदायिक व्यक्ति या समूहों जो धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं वे जनविरोधी काम करते हैं. सुप्रसिद्ध कथाकार असग़र वजाहत ने अपनी नयी पुस्तक \’हिन्दू पानी – मुस्लिम पानी\’ के लोकार्पण समारोह में कहा कि राजनीति ने जिस प्रकार से धर्म को इस्तेमाल किया है उससे साम्प्रदायिकता बढी है. दूसरी ओर शिक्षा और जागरूकता के प्रति देश के नेताओं को जो चिन्ता होनी चाहिये थी वो रही नहीं. क्योंकि उन्हें धर्मांधता को फैलाना ही हितकर लगा.
बाबा हिरदाराम पुस्तक सेवा समिति द्वारा आयोजित समारोह में वरिष्ठ कथाकार और लघु पत्रिका \’अक्सर\’ के सम्पादक हेतु भारद्वाज ने भारत की सामासिक संस्कृति की गहराई को रेखांकित करते हुए कहा कि आज साहित्य के समक्ष इस सामासिक संस्कृति को मजबूत करने का दायित्व आ गया है.
आयोजन में कथाकार भगवान अटलानी ने साहित्य और संस्कृति के सम्बन्ध को अटूट बताते हुए भाईचारे की आवश्यकता बताई. दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. पल्लव ने समारोह में असग़र वजाहत के रचनात्मक अवदान पर अपने वक्तव्य में कहा कि पांच भिन्न भिन्न विधाओं में प्रथम श्रेणी की यादगार कृतियां लिखने वाले असग़र वजाहत का लेखन हमारी भाषा और संस्कृति का गौरव बढ़ाने वाला है. उन्होंने वजाहत के हाल में प्रकाशित कहानी संग्रह \’भीड़तंत्र\’ का विशेष उल्लेख करते हुए संग्रह की कहानी \’शिक्षा के नुकसान\’ का उल्लेख भी किया. इससे पहले राजस्थान विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका प्रियंका गर्ग ने विमोचित होने वाली कृति पर एक परिचयात्मक आलेख प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि इस संकलन में असग़र वजाहत की साम्प्रदायिक सद्भाव विषयक श्रेष्ठ कहानियां तो हैं ही, वैचारिक पृष्ठभूमि के रूप में उनके छह महत्वपूर्ण लेख भी संकलित हैं, जिनको साथ रखकर पढ़ने से इन कहानियों के नए अर्थ खुलते हैं.
समिति के उपाध्यक्ष डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने समिति के क्रियाकलाप का परिचय देते हुए बताया कि ‘हिंदू पानी– मुस्लिम पानी’ शीर्षक वाले इस संकलन का प्रकाशन बाबा हिरदाराम पुस्तक सेवा समिति ने किया है. समिति का प्रयास बहुत कम मूल्य पर उच्च गुणवत्ता वाली पुस्तकें प्रकाशित कर पुस्तक संस्कृति को प्रोत्साहित करना है, इसीलिए लगभग 150 पृष्ठों के इस संकलन का मूल्य भी मात्र तीस रुपये रखा गया है. समारोह का संचालन युवा रचनाकार चित्रेश रिझवानी ने किया.
समारोह का एक अतिरिक्त आकर्षण यह रहा कि इसे प्रो. असग़र वजाहत के जन्म दिन की पूर्व संध्या के रूप में भी आयोजित किया गया. इस अवसर पर समिति के सचिव गजेंद्र रिझवानी ने सभी की तरफ से असग़र साहब को जन्म दिन को शुभ कामनाएं दीं और केक भी काटा गया.
अंत में समिति के अध्यक्ष आसनदास नेभनानी ने आभार प्रदर्शित किया. आयोजन में बड़ी संख्या में लेखक–कवि, साहित्य प्रेमी और पत्रकार उपस्थित थे.
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दुर्गाप्रसाद अग्रवाल