बाड़मेर: तुम साथ चले आये हो: प्रतिभा कटियार
प्रतिभा कटियार संवेदनशील कवयित्री हैं और यात्राओं की शौक़ीन भी. अभी हाल ही में उनकी किताब ‘मारीना : रूस की महान कवयित्री मारीना त्स्वेतायेवा का युग और जीवन’ प्रकाशित हुई...
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प्रतिभा कटियार संवेदनशील कवयित्री हैं और यात्राओं की शौक़ीन भी. अभी हाल ही में उनकी किताब ‘मारीना : रूस की महान कवयित्री मारीना त्स्वेतायेवा का युग और जीवन’ प्रकाशित हुई...
रूसी भाषा और साहित्य के अध्येता वरयाम सिंह के चयन एवं अनुवाद में मारीना त्स्वेतायेवा की ‘कुछ चिट्ठियाँ, कुछ कविताएँ’ १९९२ में आधार से प्रकाशित हुईं थी. इस पुस्तिका ने...
जायसी के विशुद्ध कवि की पहचान और यह कहना कि अगर वे सूफी हैं भी तो कुजात सूफी हैं और हिंदी कविता में लघु मानव की अवधारणा, इसके लिए विजयदेव...
वरिष्ठ कवि विमल कुमार का नया संग्रह \'जंगल में फिर आग लगी है\' उद्भावना से प्रकाशित हुआ है. जिसकी भूमिका कुमार अम्बुज ने लिखी है. यह भूमिका और कुछ कविताएँ...
कवयित्री और चित्रकार संगीता गुप्ता (जन्म- २५ मई १९५८, गोरखपुर) का संग्रह ‘रोशनी का सफ़र’ कविता और पेंटिग दोनों की किताब है. हिंदी में ऐसी किताबें मुश्किल से छपती हैं....
कवि, कथाकार, आलोचक, शिक्षक गंगा प्रसाद विमल (जन्म :1939 उत्तरकाशी) की श्री लंका में सड़क दुर्घटना में पुत्री कनुप्रिया, नाती श्रेयस और वाहन चालक के साथ मृत्यु ने हिंदी जगत...
‘न सही तुम्हारे दृश्य में मैं कहींअंधेरों में सही.’इस वर्ष के हिंदी के साहित्य अकादमी पुरस्कार से नन्दकिशोर आचार्य का कविता संग्रह ‘छीलते हुए अपने को’ सम्मानित हुआ है. चौथे...
कथाकार गैब्रिएल गार्सिया मार्खे़ज़ ने मेंदोजा से बातचीत में यह स्वीकार किया है कि उनके उपन्यासों में एक भी पंक्ति ऐसी नहीं है जो वास्तविकता पर आधारित न हो. लातीन...
जो अ-रीति है, अ-पारम्परिक है, नवोन्मेष है वह रीति की आरोपित बाध्यता पर चोट है, इस आघात से बोध और सौन्दर्य के विस्तार का रास्ता निकलता है. कवि-संपादक पीयूष दईया...
रघुवीर सहाय (9 दिसंबर,1929 -30 दिसंबर,1990) भारतीय लोकतंत्र की ख़ामियों, निर्बाध सत्ता की ताकत की छुपी हिंसा, और साधारण जन की यातना और विवशता के कवि हैं. उनकी कविताएँ निम्न...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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