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Home » निज़ार क़ब्बानी : रीनू तलवाड़

निज़ार क़ब्बानी : रीनू तलवाड़

भारतीत संस्कृति में मदनोत्सव की परम्परा है. साहित्य इस दिन प्रेम कविताओं का पुष्पहार धारण करता है. कविताएँ निज़ार क्ब्बानी की हों तो सुगंध और मिठास बढ़ जाती है. इन पुष्पों को रीनू तलवाड़ ने बहुत ही आत्मीयता से चुना और कुशलता से पिरोया है. प्रेम दिवस की शुभकामनाएँ. निज़ार क़ब्बानी (Nizar Qabbani) सिरिया से […]

by arun dev
February 14, 2012
in अनुवाद
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भारतीत संस्कृति में मदनोत्सव की परम्परा है. साहित्य इस दिन प्रेम कविताओं का पुष्पहार धारण करता है. कविताएँ निज़ार क्ब्बानी की हों तो सुगंध और मिठास बढ़ जाती है. इन पुष्पों को रीनू तलवाड़ ने बहुत ही आत्मीयता से चुना और कुशलता से पिरोया है.
प्रेम दिवस की शुभकामनाएँ.
निज़ार क़ब्बानी (Nizar Qabbani) सिरिया से हैं व अरबी भाषा के कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है. उनकी सीधी सहज कविताएँ अधिकतर प्यार के बारे में हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे क्रन्तिकारी हैं, तो उन्होंने कहा — अरबी दुनिया में प्यार नज़रबंद है, मैं उसे आज़ाद करना चाहता हूँ. उन्होंने 16 वर्ष की आयु से कविताएँ लिखनी शुरू कर दी थीं, और उनके 50 से अधिक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी कविताओं को कई प्रसिद्ध अरबी गायकों ने गया है, जिन में मिस्र की बेहतरीन गायिका उम्म कुल्थुम भी हैं, जिनके गीत सुनने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं.
रीनू तलवाड़

ईश्वर से प्रश्न
हे ईश्वर :
जब हम प्यार करते हैं हम पर क्या विजय पा लेता है ?
हमारे भीतर गहरे कहीं क्या होने लगता है ?
हमारे अन्दर क्या टूट जाता है?
ऐसा कैसे होता है कि जब हम प्यार करते हैं
लौट जाते हैं एक बार फिर बचपन में ?
ऐसा कैसे होता है कि पानी की एक बूँद
बन जाती है सागर
ताड़ के पेड़ और ऊंचे हो जाते हैं
समुद्र का पानी और मीठा
सूरज एक कीमती हीरों-जड़ा कंगन कैसे बन जाता है
जब हम प्यार करते हैं ?
हे ईश्वर :
जब अचानक प्यार घटित होता है
वह क्या है जो हम अपने में से जाने देते हैं ?
वह क्या है जो हम में पैदा हो जाता है ?
क्यों हम नन्हे स्कूली बच्चों-से
सरल और मासूम हो जाते हैं ?
और ऐसा क्यों होता है
कि जब हमारी प्रियतमा हँसती है
दुनिया करती है हम पर मोगरे की बारिश
ऐसा क्यों होता है
कि जब वह हमारे काँधे पर सर रख कर रोती है
दुनिया एक दुःख भरा पंछी बन जाती है ?
हे ईश्वर :
उसे क्या कहते हैं, उस प्यार को
जिसने सदियों से आदमियों को मार डाला है,
किलों को जीता है
शक्तिशाली को नीचा दिखाया है
निरीह और सीधे-सादे लोगों को पिघलाया है ?
ऐसा कैसे होता है कि हमारी प्रेमिका के बाल
सोने का बिछौना बन जाते हैं
और उसके होंठ मदिरा और अंगूर ?
ऐसा कैसे है कि हम आग में से गुज़रते हैं
और आंच का आनंद उठाते हैं ?
हम बंदी कैसे बन जाते हैं जबकि हमने प्यार
विजयी राजा होने के बाद किया होता है ?
उस प्यार को हम क्या कहते हैं
जो चाक़ू की तरह हमारे अन्दर घुस जाता है ?
क्या वह एक सरदर्द है ?
क्या वह पागलपन है ?
ऐसा कैसे होता है कि बस एक ही पल में
दुनिया एक हरी-भरी वादी…
एक मधुर-सी जगह बन जाती है
जब हम प्यार करते हैं ?
हे ईश्वर :
हमारी बुद्धि को क्या हो जाता है ?
हमें क्या हो जाता है ?
ललक का एक पल बरसों लम्बा कैसे हो जाता है
और माया प्यार में यथार्थ कैसे बन जाती है ?
कैसे साल के सप्ताह एक-दूसरे से जुड़े नहीं रह पाते ?
ऐसा कैसे होता है कि प्यार मौसमों के भेद मिटा देता है ?
तो सर्दियों में गर्मियाँ हो जाती हैं
और जब हम प्यार करते हैं
आकाश के बागीचों में गुलाब खिलने लगते हैं ?
हे ईश्वर :
हम प्यार के सामने समर्पण कैसे करें,
कैसे सौंप दे उसको अपने अंतर्मन की चाबी
उसके सामने दिए जलाएँ, सुगंध ले जाएँ
ऐसा कैसे होता है कि क्षमा मांगते हुए,
हम उसके पैरों में गिर जाते हैं
ऐसा कैसे होता है कि
हम चाहते हैं उसकी रियासत में दाखिल होना
वह हमें जो भी करे
वह जो भी करे उसके आगे समर्पित होना.
हे ईश्वर :
अगर तुम सच्चे ईश्वर हो
तो हमें हमेशा प्रेमी रहने देना.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.)
जब मैं प्यार करता हूँ
जब मैं प्यार करता हूँ
लगता है जैसे मैं हूँ समय का राजा
यह सारी धरती और इस पर जो कुछ भी है
मेरा है
और मैं अपने घोड़े पर चढ़
जा सकता हूँ सूरज के पार.
जब मैं प्यार करता हूँ
बन जाता हूँ तरल रोशनी
आँखों से अदृश्य हो जाता हूँ
और मेरी कापियों में लिखी कविताएँ
लाल और पीले फूलों के खेत बन जाती हैं.
जब मैं प्यार करता हूँ
पानी के सोते फूट पड़ते है मेरी उँगलियों के पोरों से
मेरी जीभ पर घास उग आती है
जब मैं प्यार करता हूँ
बन जाता हूँ समस्त समय के बाहर का समय.
जब मैं एक औरत को प्यार करता हूँ
सभी पेड़
नंगे पैर दौड़ आते है मेरे पास…
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और क्रिस्टोफर मिडल्टन ने किया है.)
मैं तुम से प्यार करता हूँ
मैं हर दिन तुम से तीस साल प्यार करता हूँ
जब मैं अपने जीवन के साथ
दौड़ता हूँ यह दौड़
तुम्हारे लिए यह समय बहुत कम लगता है
पल भागते जाते हैं
और उनका पीछा करते
ना जाने क्यों लगता है मुझे
कि मैं कुछ स्थापित कर रहा हूँ
धरती की कोख में कुछ बो रहा हूँ
ना जाने क्यों लगता है मुझे
कि जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
मानो अपने ही समय को परिवर्तित कर रहा हूँ.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और नाओमी शिहाब नाए ने किया है.)
अभिनय
दूसरों के सामने मैं कहता हूँ कि तुम मेरी प्रिय नहीं हो
और भीतर गहरे कहीं मैं जानता हूँ कि मैं कितना झूठा हूँ
केवल मुश्किलों को हमसे दूर रखने के लिए
दावा करता हूँ कि कुछ नहीं है हमारे बीच
और मीठी होते हुए भी,
मैं नकार देता हूँ प्यार की अफवाहों को
और अपने सुन्दर इतिहास को खंडहर कर देता हूँ.


मूर्खों कि तरह, मैं स्वयं को निर्दोष घोषित करता हूँ
अपनी इच्छाओं को मार डालता हूँ, साधू बन जाता हूँ
अपनी सुगंध मिटा देता हूँ, जान-बूझ कर
तुम्हारी आँखों-बसे स्वर्ग से भाग जाता हूँ
मसखरी करता हूँ, उस भूमिका में
असफल हो जाता हूँ मेरी प्यारी और लौट आता हूँ
क्योंकि रात, चाहे कितना भी चाहे,
अपने तारे नहीं छुपा सकती,
न ही समुद्र, चाहे जितना भी चाहे,
छुपा सकता है अपने जहाज़.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और डब्ल्यू एस मर्विन ने किया है.)
कहो कि मुझसे प्यार करती हो
कहो कि मुझसे प्यार करती हो…
ताकि मैं सुन्दर हो जाऊं
कहो कि मुझसे प्यार करती हो…
कि मेरी उँगलियाँ सोने की हो जाएँ
और मेरा माथा दिये-सा दमके
कहो कि मुझसे प्यार करती हो
ताकि मैं पूरी तरह बदल जाऊं
और बन जाऊं
एक गेहूं की डाली या एक पेड़ 
अब कह भी दो, हिचकिचाओ मत
कोई-कोई प्यार देर नहीं सह पाते
कहो कि मुझसे प्यार करती हो
ताकि मेरा दैवत्व और बढ़ जाए
और मेरी प्रेम कविताएँ
बन जाएँ एक पावन ग्रन्थ
अगर तुम चाहो तो मैं कैलेंडर भी बदल दूंगा
कुछ मौसम मिटा दूंगा, कुछ जोड़ दूंगा
और पुराना साल मेरे हाथों में निरस्त्र-सा होगा
मैं औरतों का राज्य स्थापित कर दूंगा.
कहो कि मुझसे प्यार करती हो
ताकि मेरी कविताएँ तरल हो जाएँ
और मेरी लिखावट बहुत सुन्दर
अगर तुम मेरी प्रिय होती
तो मैं घोड़े और जहाज़ लेकर
सूरज पर चढ़ाई कर देता.
संकोच मत करो…यही एक मौका है
मेरे ईश्वर बनने का…
या बनने का…पैगम्बर.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और नाओमी शिहाब नाए ने किया है.)
प्यार की तुलना
मैं तुम्हारे अन्य प्रेमियों-सा नहीं हूँ, मादाम
अगर कोई और तुम्हें देता है एक बादल
मैं तुम्हें बारिश देता हूँ
अगर वह तुम्हें दे एक लालटेन,
मैं दूंगा तुम्हें चाँद
अगर वह तुम्हें दे एक टहनी
मैं तुम्हें पेड़ दूंगा
और अगर कोई और देता है तुम्हें एक जहाज़
मैं दूंगा तुम्हें यात्रा.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और क्रिस्टोफर मिडल्टन ने किया है.)
प्याली और गुलाब
हमारे प्यार को भुलाने के लिए
अपने दुःख को डुबोने के लिए
मैं कॉफ़ी-हाउस गया
मगर मेरी
कॉफ़ी की प्याली के तल से 
एक सफ़ेद गुलाब-सी
उभर आईं तुम.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और डायना देर होवानेस्सियाँ ने किया है.)
समीकरण
मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
इसलिए हूँ मैं
वर्तमान में.
मैं लिखता हूँ, प्रिय
और पुनः पा लेता हूँ
बीते कल को.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और डायना देर होवानेस्सियाँ ने किया है.)
शब्दों की चित्रकारी
बीस साल बीत गए प्यार की राह पर मगर
अभी भी इस रास्ते का कोई नक्शा नहीं है.
कभी-कभी मैं हुआ विजेता.
अधिकतर रहा पराजित.
बीस साल, ऐ प्रेम की पोथी
और अभी भी पहले पन्ने पर हूँ.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद लेना जाय्युसी और डायना देर होवानेस्सियाँ ने किया है.)
नई भाषा
तुम्हारे लिए मैं अलग-ही शब्द लिखना चाहता हूँ
एक नई भाषा गढ़ना चाहता हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए
जो तुम्हारे बदन को समो ले
और मेरे प्यार को.
बहुत दूर चला जाना चाहता हूँ मैं शब्दकोष से
और अपने होंठ पीछे छोड़ जाना चाहता हूँ.
इस मुंह से तंग आ गया हूँ मैं,
अब कोई दूसरा मुंह चाहता हूँ.
ऐसा जो कभी चेरी का पेड़ बन जाए,
कभी माचिस की डिबिया.
जिस में से शब्द ऐसे निकलें
जैसे पानी में से जलपरियाँ,
जैसे जादूगर की पिटारी में से सफ़ेद कबूतर.
(इस कविता का मूल अरबी से अंग्रेजी में अनुवाद बस्सम के.फ्रंगिये व क्लेमनटीना आर. ब्राउन ने किया है.)


अंग्रजी से अनुवाद रीनू तलवाड़









रीनू तलवाड़
चंडीगढ़
 कई वर्षोँ से फ्रेंच पढ़ा रही हैं
कवयित्री, समीक्षक,अनुवादक
विश्व भर की कविताओं का हिंदी में अनुवाद
नियमित रूप से अखबारों में साहित्य, रंगमंच व सिनेमा  पर लेखन
ई पता : reenu.talwarshukla@gmail.com

Tags: निज़ार क़ब्बानीरीनू तलवाड़
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