Annie Deveaux Berthelot
translated into Hindi by Rustam Singh
एन्नी दवू बर्थलू की बीस कविताएँ
अंग्रेजी से अनुवाद: रुस्तम सिंह
1.
एक वन के मौन में जहाँ कोई रास्ता नहीं
हवा गरज रही है
पक्षी अपने घोंसले बना रहे हैं
सूरज उगता है और डूब जाता है
यही कुछ चाँद भी करता है
उस राह की तलाश में जो जीवन से
बाहर ले जाती है
2.
जीवन
कुछ भी नहीं
एक बुरा सपना
थोड़ी सी धूल
दो छोटे-छोटे फूल बहुत पीले
जिनके सामने मैं रोती हूँ
3.
शाम के नीले में
रोशनी की दो बून्दें मेरी पलकों के किनारों पर
देखो
स्मृति के आँसू कितने सुन्दर हैं
लहरों के प्रतिबिम्ब में
बस एक ही स्वप्न है
कि इसमें खो जाऊँ
4.
जाने से पहले
मुझे खूब सहलाओ
और मुझे
प्रेममय चुम्बनों से भर दो
भिखारिन हूँ मैं…
5.
रात उतर आयी है
तुम्हारी छाया
मेरी पलकों पे एक रोशनी
केवल तुम ही मुझे ले जाते हो इन यात्राओं पे
6.
शाम के नीले में
मेरी पलकों के नीचे रोशनी की दो बून्दें
देखो
कितने सुन्दर हैं स्मृतियों के आँसू
लहरों के प्रतिबिम्ब में
कोई स्वप्न नहीं हैं
इन स्मृतियों को कैसे जाने दूँगी मैं
7.
मुझसे बात करो
कुछ और शब्द कहो उन दिनों के बारे में
जब मैं
एक भँवर में उड़ती थी
यह छाया बहुत ठण्डी है
8.
काली थी मेरी पोशाक
पहली उस मुलाक़ात के लिए
मैंने उसे सम्हाला हुआ है
उसकी ख़ुशबू के नशे में
मेरे हाथ ने
मेरी त्वचा को छुआ
9.
चुपचाप बैठे रहो, कुछ नहीं करो
वसंत आयेगा और घास ख़ुद ही उगने लगेगी
धीरे-धीरे जीवन की राह पर लौट आओ-
छायाओं और रोशनी का
विराट यह
बवण्डर
10.
जैसे
तीख़ी एक चीख़ के बाद
छा जाती है गहन ख़ामोशी
शाम के सुनहरे में
झुकते हुए
अब वह उसके आलिंगन नहीं ढूँढ रही
वे सो जाते हैं स्मृतियों की खोहों में
और उसके हाथ उन्हें रख लेते हैं हृदय के पास
11.
ठण्ड बढ़ रही है
चाँद की रोशनी में
गली के लैम्प फीके पड़ गये हैं
दरख़्त काली छायाएँ फेंक रहे हैं
सरकती हुई
वे फैल रही हैं आकाश के ऊपर
और मैं
मैं सुन रही हूँ बहुत दूर से आती उनकी गूँज
और खिड़की में सब कुछ ठीक है
12.
सदा तुम यहाँ हो
प्रेम के प्यासे जँगली फूल की तरह
मैं स्मृतियों में रहती हूँ
मैं खिड़की को पूरा खोल देती हूँ
उड़ते हुए क्षणों को पकड़ने के लिए
13.
एक मंद हवा फुसफुसा रही है,
चुप हो जाओ और ग़ायब हो जाओ
नाव बह रही है
मृत शाखाओं के बीच
और रात खुल गयी है
मासूम बच्चों के खेल में
14.
इस समय
जब इस रात में सितारे भी नहीं हैं
मैं तुम्हें प्यार करती हूँ ओ पीड़ा
तुम भविष्य को भी अतीत में बदल देती हो
15.
मैंने तुम्हारी फ़ोटो को देखा
मैंने बत्ती को बुझा दिया
समय थम गया
अपनी चद्दर से ढकी
मैं काँपने लगी
अब सिर्फ़ तुम ही नहीं थे जो दुखी थे
16.
दिन धीरे-धीरे नींद में जा रहा है
बर्फ़ को पास से देखो
उसके फाहे सितारे हैं
17.
पतझड़ आ भी गया है
कुकुरमुत्तों की
खुशबू के सिवा और कुछ भी नहीं
18.
सिर को मेरी ओर घुमाकर
वह कहता है, “अब मैं सोने जा रहा हूँ”
मुझे पता है यह उसकी मरने की इच्छा है
मेरे पेट की गहराइयों में एक ख़ालीपन है
जहाँ उसकी दबी हुई आवाज़ गूँज रही है
19.
गर्मियों की मीठी दोपहर-बाद
अपने बिस्तर पर पड़ी हूँ
अचानक मेरे पैर को
वह चूम लेता है
दुखद है कि अब मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं
बिना कुछ कहे
वह ग़ायब हो जाता है
20.
तुम यहीं हो
कितना यहीं
मेरी चुप्पियों में
मैं क्या ढूँढ रही हूँ?
तुम्हारी त्वचा की गन्ध
एन्नी दवू बर्थलू Annie Deveaux Berthelot एन्नी दवू बर्थलू का जन्म 1947 में हुआ. पेशे से वे जीव विज्ञानी हैं, परन्तु अब रिटायर हो चुकी हैं. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपना पूरा समय पेन्टिंग और ड्राइंग करने में लगाया, जो कि वे अपने युवा दिनों से ही करना चाहती थीं. इस दौरान वे फ्रांसीसी कवि-दार्शनिक रोबर्ट नोटेनबूम से मिलीं. यह मुलाक़ात एक गहरी दोस्ती में बदल गयी क्योंकि उन्होंने पाया कि वे दोनों कला की विशुद्ध और न्यूनतमवादी (minimalist) धारणा में विश्वास करते हैं. अब तक एन्नी दवू बर्थलू ने छह पुस्तकें प्रकाशित की हैं जिनमें दो कविता संग्रह हैं तथा एक उपन्यास है. शीघ्र ही उनका एक और कविता संग्रह प्रकाशित होने वाला है जिसका शीर्षक है “समय से चुराये एक क्षण के लिए”. इसके अलावा “रेखाचित्र” शीर्षक से उनकी एक अन्य पुस्तक प्रकाशित होने वाली है जिसमें उनकी और रोबर्ट नोटेनबूम की कविताएँ होंगी तथा नोटेनबूम के चित्र होंगे. |
रुस्तम सिंह कवि और दार्शनिक, रुस्तम (जन्म, अक्तूबर 1955) के सात कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिनमें से एक संग्रह में किशोरों के लिए कविताएँ हैं. उनकी “चुनी हुई कविताएँ” (2021) सूर्य प्रकाशन मन्दिर, बीकानेर, से प्रकाशित हुई हैं. उनकी कविताएँ अँग्रेजी, तेलुगु, मराठी, मल्याली, पंजाबी, स्वीडी, नौर्वीजी, इस्टोनी, फ्रांसीसी तथा स्पेनी भाषाओं में अनूदित हुई हैं. रुस्तम, Economic and Political Weekly, Bombay, में सहायक सम्पादक रहे. वे Centre for the Study of Developing Societies, Delhi, तथा Indian Institute of Advanced Study, Shimla, में फेलो तथा Jawaharlal Nehru University, New Delhi, में विज़िटिंग फेलो रहे. वे श्री अशोक वाजपेयी के साथ महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, की अँग्रेजी पत्रिका “Hindi: Language, Discourse, Writing”, के संस्थापक सम्पादक रहे. बाद में वे एकलव्य फाउंडेशन, भोपाल, में सीनियर फेलो तथा वरिष्ठ सम्पादक रहे. 1978 से 1983 के दौरान वे भारतीय सेना में अफ़सर रहे. जब वे कैप्टन थे तो उन्होंने सेना से त्यागपत्र दे दिया.
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बहुत अच्छी कविताएं, कवि रूस्तम अनुवाद बहुत अच्छा करते हैं।भाव ज्यों के त्यों बने रहते हैं
आपका अनुवाद फ्रेंच कविता तक पहुँचने की खूबसूरत राह तैयार करती है. बहुत सुंदर कविता…