पाई: एक रहस्यमय दुनिया: सुमीता ओझा
साहित्य की दैनंदिनी में दीगर मसले भी शामिल हैं. केवल साहित्य से तो साहित्य भी संभव नहीं. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ...
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साहित्य की दैनंदिनी में दीगर मसले भी शामिल हैं. केवल साहित्य से तो साहित्य भी संभव नहीं. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ...
वीस्वावा शिम्बोर्स्का से हिंदी साहित्यिक समाज सुपरिचित है. अशोक वाजपेयी, प्रो. मैनेजर पाण्डेय, विष्णु खरे, विजय कुमार, मंगलेश डबराल, राजेश ...
साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एलिस मुनरो का लेखन इधर विवाद में आ गया है. उनकी बेटी ने ...
भारतीय साहित्य चोरों के प्रति सहृदय है. और चोरों ने भी समय-समय पर साहित्य के प्रति अपनी सहृदयता प्रकट करने ...
रेल के आवागमन से सामाजिक गतिशीलता को तीव्रता मिली. साथ ही इससे औपनिवेशिक भारत में कुछ मुश्किलें भी पैदा हुईं. ...
खेलों से जुड़ी लोकप्रियता का उपयोग सत्ताएँ करती रही हैं. तानाशाहों ने खेल को अपने होने के औचित्य के रूप ...
आकार में छोटी कहानी कैसे बड़ी हो सकती है, नरेश गोस्वामी की कहानी ‘कौंध’ इसका अच्छा उदाहरण है. इसके विस्तार ...
लेखक, अभिनेता, निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गिरीश कर्नाड की उपस्थिति बेहद जानदार है. उनके आत्मकथात्मक संस्मरण कन्नड़ ...
तेजी ग्रोवर हमारे समय की विरल और विशिष्ट रचनाकार हैं. जहाँ उन्होंने नॉर्वीजी, स्वीडी, फ़्रांसीसी, लात्वी आदि भाषाओं के साहित्य ...
इतिहास में कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहाँ वर्तमान बार-बार जाता है. नालंदा ऐसी ही जगहों में से है. क्या ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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