गरासियों के बीच में: ज्ञान चन्द बागड़ी
ज्ञान चंद बागड़ी ऐसे लेखक हैं जो जिस पर लिखते हैं उसके बीच रहकर पहले उन्हें जीते हैं. गरासिया जनजाति ...
ज्ञान चंद बागड़ी ऐसे लेखक हैं जो जिस पर लिखते हैं उसके बीच रहकर पहले उन्हें जीते हैं. गरासिया जनजाति ...
एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के सुगम होने से पूर्व प्रसव सहायिका (दाई) की कुशलता और ज्ञान के महत्व को समझते हुए ...
ज्ञान चंद बागड़ी के उपन्यास ‘आख़िरी गाँव’ ने ध्यान खींचा है, इधर उनकी कहानियां भी सामने आ रहीं हैं जो ...
जोहड़ (पीथलाना,चूरू जिला), साभार: दिव्या खांडल ज्ञान चंद बागड़ी का उपन्यास ‘आखिरी गाँव’ वाणी ने अभी पिछले वर्ष ही प्रकाशित किया ...
(Painting courtesy: Aritra Sen) प्रवासी प्रिय को संदेश भेजने की साहित्य-परंपरा प्राचीन है. पुरानी हिन्दी में ...
‘बातन के ठाठ’ के लेखक ‘ज्ञान चंद बागड़ी’ राजस्थान के एक समुदाय की कथा बुनते है, ज़ाहिर तौर पर न ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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