मलिका-ए-ग़ज़ल फ़रीदा खानम : सुमनिका सेठी
फ़रीदा खानम ने जब फ़ैयाज़ हाशमी की 'आज जाने की ज़िद न करो' गाया तो किसी को क्या पता था कि यह हिन्दुस्तानी ज़बान में आशिक के अनुरोध का प्रतिनिधि...
फ़रीदा खानम ने जब फ़ैयाज़ हाशमी की 'आज जाने की ज़िद न करो' गाया तो किसी को क्या पता था कि यह हिन्दुस्तानी ज़बान में आशिक के अनुरोध का प्रतिनिधि...
१९ वीं और २० वीं सदी की संधि बेला हिंदुस्तान में कला, संगीत, नृत्य के लिए किसी आपदा से कम नहीं, ख़ासकर इनसे जुड़ीं स्त्रियों के लिए. उनपर दोहरी मार...
३१ जुलाई १९८० को महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफ़ी हमसे हमेशा के लिए अलग हो गये, पर इस महाद्वीप में आज भी उनकी आवाज़ गूंजती रहती है. उन्हें याद कर...
मशहूर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक और कुमार गन्धर्व के पुत्र मुकुल शिवपुत्र किंवदन्ती में बदल गए हैं. उनकी मयनोशी और अपारम्परिक जीवन शैली के तमाम किस्से हवाओं में बिखरे हैं. पहली...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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