सैयद हैदर रज़ा : पवन करण
रज़ा की कलाकृतियों को देखना ही नहीं, उनके बारे में पढ़ना भी सम्मोहक अनुभव है. यशोधरा डालमिया की ‘सैयद हैदर रज़ा: एक अप्रतिम कलाकार की यात्रा’ ऐसी ही किताब है,...
रज़ा की कलाकृतियों को देखना ही नहीं, उनके बारे में पढ़ना भी सम्मोहक अनुभव है. यशोधरा डालमिया की ‘सैयद हैदर रज़ा: एक अप्रतिम कलाकार की यात्रा’ ऐसी ही किताब है,...
कृष्ण खन्ना के शतायु होने का अवसर उनकी कला-साधना को समझने का भी अवसर है. चित्रकार और लेखक अखिलेश ने उनके कुछ विशेष चित्रों के महत्व और उनकी कला-यात्रा को...
ललित कला अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे विशिष्ट अलंकरणों से सम्मानित प्रख्यात चित्रकार कृष्ण खन्ना (जन्म: 5 जुलाई, 1925) का मानना है कि ‘कला की रचना उनके...
दस आधुनिक भारतीय चित्रकारों पर अशोक वाजपेयी से पीयूष दईया की बातचीत पर आधारित यह सुदीर्घ आलेख चित्रकारों और कला-गतिविधियों पर केन्द्रित है. हिंदी में कला-लेखन हमेशा से हाशिये पर...
प्रारम्भिक भारतीय चित्रकारों में चित्तप्रसाद (1915-1978) ऐसे पहले चित्रकार हैं जिन्होंने पीड़ित जनता को प्रमुखता से चित्रित किया है, उन्हें ख्याति लीनोकट माध्यम में बंगाल के अकाल की त्रासदी के...
मशहूर छापा कलाकार पद्मश्री श्याम शर्मा से (जन्म: 8 फरवरी 1941) के. मंजरी श्रीवास्तव की यह बातचीत छापा कला (प्रिंट मेकिंग) के आयामों पर प्रकाश डालती हुई श्याम शर्मा की...
शिल्पकार शम्पा शाह का लोक और आदिवासी कलाओं पर आधारित लेखन भी महत्वपूर्ण हैं. काँगड़ा चित्र-शैली की विशेषताओं पर यह लेख बारीकी से उसकी विशेषताओं को उद्घाटित करता...
अखिलेश द्वारा लिखी यह श्रृंखला ‘रज़ा जैसे मैंने देखा’ इस कड़ी के साथ अब यहाँ सम्पूर्ण हुई, समालोचन में यह पिछले छह महीने से माह के पहले और तीसरे शनिवार...
चित्रकार और लेखक अखिलेश द्वारा लिखित विश्व प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के जीवन और चित्रकारी पर आधारित स्तम्भ, ‘रज़ा जैसा मैंने देखा’ की यह ग्यारहवीं क़िस्त है. हमेशा की...
भूरीबाई को इस वर्ष के पद्मश्री सम्मान दिए जाने की घोषणा के साथ ही उन्हें लेकर जिज्ञासा प्रकट की जाने लगी कि वे कौन हैं और उनका कार्यक्षेत्र क्या है...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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