पेंटिंग

चित्तप्रसाद और उनकी चित्रकला: अखिलेश

चित्तप्रसाद और उनकी चित्रकला: अखिलेश

प्रारम्भिक भारतीय चित्रकारों में चित्तप्रसाद (1915-1978) ऐसे पहले चित्रकार हैं जिन्होंने पीड़ित जनता को प्रमुखता से चित्रित किया है, उन्हें ख्याति लीनोकट माध्यम में बंगाल के अकाल की त्रासदी के...

छापा कलाकार श्याम शर्मा से के. मंजरी श्रीवास्तव की बातचीत

छापा कलाकार श्याम शर्मा से के. मंजरी श्रीवास्तव की बातचीत

मशहूर छापा कलाकार पद्मश्री श्याम शर्मा से (जन्म: 8 फरवरी 1941) के. मंजरी श्रीवास्तव की यह बातचीत छापा कला (प्रिंट मेकिंग) के आयामों पर प्रकाश डालती हुई श्याम शर्मा की...

काँगड़ा चित्रकला: प्रेम की उदात्त कला: शंपा शाह

काँगड़ा चित्रकला: प्रेम की उदात्त कला: शंपा शाह

    शिल्पकार शम्पा शाह का लोक और आदिवासी कलाओं पर आधारित लेखन भी महत्वपूर्ण हैं. काँगड़ा चित्र-शैली की विशेषताओं पर यह लेख बारीकी से उसकी विशेषताओं को उद्घाटित करता...

रज़ा : जैसा मैंने देखा (१२): अखिलेश

अखिलेश द्वारा लिखी यह श्रृंखला ‘रज़ा जैसे मैंने देखा’ इस कड़ी के साथ अब यहाँ सम्पूर्ण हुई, समालोचन में यह पिछले छह महीने से माह के पहले और तीसरे शनिवार...

रज़ा : जैसा मैंने देखा (११): अखिलेश

रज़ा : जैसा मैंने देखा (११): अखिलेश

चित्रकार और लेखक अखिलेश द्वारा लिखित विश्व प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के जीवन और चित्रकारी पर आधारित स्तम्भ, ‘रज़ा जैसा मैंने देखा’ की यह ग्यारहवीं क़िस्त है. हमेशा की...

भूरीबाई: रूपकथा की आत्मकथा: अखिलेश

 भूरीबाई को इस वर्ष के पद्मश्री सम्मान दिए जाने की घोषणा के साथ ही उन्हें लेकर जिज्ञासा प्रकट की जाने लगी कि वे कौन हैं और उनका कार्यक्षेत्र क्या है...

रज़ा : जैसा मैंने देखा (१०) : अखिलेश

सैयद हैदर रज़ा की कला और शख़्सियत पर आधारित अखिलेश का यह स्तम्भ ‘रज़ा: जैसा मैंने देखा’ धीरे-धीरे अपनी सम्पूर्णता की तरफ बढ़ रहा है. किसी मूर्धन्य चित्रकार को समझने...

विशेष आयोजन: कला के व्योम में शब्द और रंग

पेंटिंग देखकर कवियों ने कविताएँ लिखीं हैं, कविताएँ पढ़कर भी चित्र बनाये जाते हैं. कभी-कभी दोनों साथ-साथ भी रहते हैं. पतंगे वैसे तो उड़ती रहती हैं पर मकर संक्रांति के...

रज़ा : जैसा मैंने देखा (९) : अखिलेश

 प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के जीवन और उनकी चित्रकला पर आधारित स्तम्भ ‘रजा: जैसा मैंने देखा’ पिछले कई महीनों से आप माह के पहले और तीसरे शनिवार को समालोचन पर...

निर्वास : पीयूष दईया की कविताएँ

निर्वास : पीयूष दईया की कविताएँ

अंतहीन पन्नों की कॉपी के किसी कोरे पन्ने पर यह जो आज तिथि अंकित की गयी है, उसे नव वर्ष का आरम्भ कह सकते हैं. यह वर्ष धरती पर सभी...

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