भूमंडलोत्तर कहानी – २१ : गलत पते की चिट्ठियाँ (योगिता यादव ) : राकेश बिहारी)
राकेश बिहारी ने समकालीन कथा-साहित्य पर अपने स्तंभ ‘भूमंडलोत्तर कहानी’ की शुरुआत लगभग चार वर्ष पूर्व समालोचन पर की थी. आज इसकी २१ वीं कड़ी योगिता यादव की कहानी ‘गलते...
राकेश बिहारी ने समकालीन कथा-साहित्य पर अपने स्तंभ ‘भूमंडलोत्तर कहानी’ की शुरुआत लगभग चार वर्ष पूर्व समालोचन पर की थी. आज इसकी २१ वीं कड़ी योगिता यादव की कहानी ‘गलते...
कवि, आलोचक, अनुवादक, पत्रकार, संपादक और फ़िल्म कला मर्मज्ञ विष्णु खरे एक महान पाठक भी थे. उन्हें किसी नवोदित की कोई कविता पढ़कर उससे बात करने में कोई संकोच कभी...
प्रत्यक्षा की कहानी ‘बारिश के देवता’ का चयन २०१८ के ‘राजेन्द्र यादव हंस कथा सम्मान’ के लिए वरिष्ठ कथाकार उदय प्रकाश द्वारा किया गया है. हंस में प्रकाशित कहानियों में...
देखते-देखते हम सबके प्रिय मंगलेश डबराल ७० साल के हो गए. अगर कवि अपनी लिखी जा रही कविताओं में ज़िन्दा है तो उसकी उम्र का एहसास नहीं होता. मंगलेश सक्रिय...
प्रथम प्रधानमन्त्री और आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरु लेखक भी थे. ‘The Discovery of India’, ‘Glimpses of World History’, Toward Freedom (autobiography) और ‘Letters from a Father to His...
लेखिका शिवरानी देवी \' प्रेमचंद : घर में \' के लिए जानी जाती हैं, वह एक समर्थ कथाकार भी थीं. \'नारी हृदय\' उनका कहानी संग्रह है. बाल विधवा शिवरानी देवी का विवाह...
शिव किशोर तिवारी (१६ अप्रैल १९४७) का कविता की दुनिया में आगमन किसी घटना की तरह अचानक से हुआ है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. करने के बाद...
जाना केदारनाथ सिंह का ‘जब कोई कवि मरता है पृथ्वी पर सबसे पहले छलकती है ईश्वर की आँख.’ (एक अरबी कविता, द्वारा उदय प्रकाश) कवि केदारनाथ अशोक वाजपेयी वे...
पेंटिग : अमृता शेरगिलभारतेंदु काल में लेखिका ‘एक अज्ञात हिन्दू महिला’ \'सीमंतनी उपदेश\' (1882) लिखती हैं जो उस समय की सोच से आगे की रचना थी. यह किताब एक सदी...
वर्चस्व की सभी सत्ताओं के समानांतर प्रतिरोध और असहमति का प्रति संसार भी है. लम्बे अंतराल में उनके रूप बदल गए, वे अब रूपकों के रूप में सुरक्षित हैं. परिवार,समाज,धर्म,...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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