आलेख

भूमंडलोत्तर कहानी (१४) : मन्नत टेलर्स ( प्रज्ञा) : राकेश बिहारी

राकेश बिहारीसाहित्य का मूल कार्य यह है कि वह तमाम अच्छे–बुरे बदलावों के बीच और उनके तीक्ष्ण–तिक्त प्रभावों के मध्य आम आदमी के पास  आता-जाता रहता है. उन्हें देखता, परखता,...

भूमंडलोत्तर कहानी (१३) : जस्ट डांस (कैलाश वानखेड़े) : राकेश बिहारी

Pablo Picassoभूमंडलोत्तर कहानी क्रम में आपने अब तक निम्न कहानियों पर युवा आलोचक राकेश बिहारी की विवेचना पढ़ी- 1-लापता नत्थू उर्फ दुनिया न माने (रवि बुले), 2-शिफ्ट+ कंट्रोल+आल्ट = डिलीट...

पुरुषार्थ, त्याग और स्वराज : मो. क. गाँधी

गांधी मनुष्यता के महात्मा थे.हिंसक वर्चस्व से प्रतिरोध का हिंसारहित असहयोग और अवज्ञा का उनका रास्ता मनुष्यता की उनकी अवधारणा की ही तरह उदात्त है.आज उनके चिन्तन और आख़िरी आदमी...

कश्मीर तीन साल पहले: यादवेन्द्र

कश्मीर तीन साल पहले: यादवेन्द्र

जिन्हें हम आम समझ कहते हैं वे पूर्वग्रहों के गुच्छे ही तो होते हैं. धारणाएं बनती जाती हैं और फिर हम एक समझ विकसित कर लेते हैं. इन धारणाओं के...

दक्षिणायन (प्रचण्ड प्रवीर) : वागीश शुक्ल

प्रचण्ड प्रवीर का कथा लेखन : वागीश शुक्ल

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से रासायनिक अभियांत्रिकी में प्रौद्योगिकी स्नातक प्रचण्ड प्रवीर  हिंदी के कथाकार हैं. २०१० में प्रकाशित उनका पहला उपन्यास 'अल्पाहारी गृहत्यागी: आई आई टी से पहले' चर्चित...

भूमंडलोत्तर कहानी – १२: सिनीवाली शर्मा (अधजली): राकेश बिहारी

भूमंडलोत्तर कहानी  विवेचना क्रम में आपने अब तक निम्न कहानियों पर युवा आलोचक राकेश बिहारी की विवेचना पढ़ी - लापता नत्थू उर्फ दुनिया न माने (रवि बुले), शिफ्ट+ कंट्रोल+आल्ट = डिलीट...

महाश्वेता देवी: गरिमा श्रीवास्तव

ऐसा लगता है कि हम नेहरुयुगीन उदारता और आधुनिकता के ख़ात्मे की ओर अग्रसर हैं.सच का कोई और भी पक्ष हो सकता है और उसे सुना जाना चाहिए यह गांधी...

परख : दर्दजा (जयश्री रॉय ): राकेश बिहारी

जयश्री रॉय का उपन्यास ‘दर्दजा’ ‘फ़ीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन’ की (कु) प्रथा और उसकी यातना को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास है जो इधर खूब चर्चित हुआ है और  उसे स्पंदन...

गदल: वर्जनाहीन स्त्री-चरित्र की गाथा: रोहिणी अग्रवाल

गदल: वर्जनाहीन स्त्री-चरित्र की गाथा: रोहिणी अग्रवाल

तिरुमलै नम्बाकम वीर राघवाचार्य  उर्फ रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) का रचनासंसार इतना विस्तृत और  बहुविषयक है कि भारतेंदु की रचनाशीलता की याद आती है,  उनकी...

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