आलेख

भूमंडलोत्तर कहानी (३) : नाकोहस (पुरुषोत्तम अग्रवाल) : राकेश बिहारी

कहानी कहने की दुविधा और मजबूरी के बीच...(संदर्भ : पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’) राकेश बिहारी वरिष्ठ आलोचक और नवोदित कथाकार पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’ (पाखी, अगस्त 2014)  पर बात...

राजेन्द्र यादव-आत्महंता उत्सवधर्मिता : राकेश बिहारी

फोटो आभार : Anusha Yadavआज राजेन्द्र यादव का जन्म दिवस है, उनकी अनुपस्थिति में उनका पहला जन्मोत्सव. सभ्यता की चेतना और संस्कृति के विवेक में जिनका योगदान होता है उन्हें इसी...

भूमंडलोत्तर कहानी (२) : आकांक्षा पारे काशिव : शिफ्ट+कंट्रोल+ऑल्ट=डिलीट’): राकेश बिहारी

भूमंडलोत्तर कहानी - क्रम  में इस बार कथा  - समीक्षक आलोचक राकेश बिहारी ने विवेचन - विश्लेषण के लिए हंस  जनवरी 2014 में प्रकाशित आकांक्षा पारे काशिव की कहानी ‘शिफ्ट+कंट्रोल+ऑल्ट=डिलीट’को...

भूमंडलोत्तर कहानी (१) : रवि बुले: ‘लापता नत्थू उर्फ दुनिया ना माने: राकेश बिहारी

भूमंडलोत्तर कहानी क्रम में कथा - समीक्षक आलोचक राकेश बिहारी ने विवेचन - विश्लेषण के लिए कथा- देश के जून २००१ के अंक में प्रकाशित रवि बुले की कहानी \'लापता...

कविता में वसंत और प्रेम : ओम निश्चल

कविता में वसंत और प्रेम : ओम निश्चल

'मिलकर वे दोनों प्राणी/दे रहें खेत में पानी'. (त्रिलोचन) प्रेम, दाम्पत्य और वासंती बयार की अनगिन अभिव्यक्तियाँ कविता में बिखरी पड़ी हैं. नवगीत की एक मजबूत धारा हिंदी में रही...

आवाज़ की जगह : २. गौरव सोलंकी

समालोचन में गिरिराज किराडू के कॉलम ‘आवाज़ की जगह’ की दूसरी किश्त कवि–कथाकार गौरव सोलंकी के लेखन पर है. आई.आई.टी.रूडकी (२००८) से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में स्नातक गौरव सोलंकी (७/७/१९८६) युवा...

आवाज़ की जगह : १: प्रभात रंजन और सीतामढ़ी

युवा कवि आलोचक  गिरिराज ने अपनी पसन्द के कहानीकारों पर लिखते रहने का वायदा किया है. शुरुआत  प्रभात रंजन से. गिरिराज की समूची उपस्थिति ही साहित्य के लिए आह्लादकारी है....

मगध : सुबोध शुक्ल

मगध : सुबोध शुक्ल

श्रीकान्त वर्मा का कविता संग्रह मगध (१९८४ में प्रकाशित) अभी भी आलोचकों के लिए चुनौती है, ऐसी जनप्रियता कम कविता संग्रहों को मिली है. युवा आलोचक सुबोध शुक्ल का भाष्य...

नामवर सिंह : जगदीश्वर चतुर्वेदी   

नामवर सिंह : जगदीश्वर चतुर्वेदी   

हिंदी के सर्वाधिक चर्चित आलोचक नामवर सिंह ८६ वर्ष के हो गए हैं. समकालीन हिंदी साहित्य को जिस एक व्यक्ति ने सबसे अधिक प्रभावित किया उसका नाम नामवर सिंह है....

सबद भेद : चंद्रकुँवर बर्त्वाल

सबद भेद : चंद्रकुँवर बर्त्वाल

चंद्रकुंवर बर्त्वाल बतौर कवि छायावाद के वैभव काल में समाने आते हैं. उनकी कविताओं में जहां छायावाद की समृद्धि है वहीं छायावाद को अतिक्रमित करती हुई अलग काव्य प्रवृत्ति भी...

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