संजीव चंदन की कहानी एक ऐसी खुद मुख़्तार स्त्री के आस पास बुनी गई है जिसमें हमारे समय की कई...
कवयित्री, कथाकार और स्त्री-विमर्शकार अनामिका से अपर्णा मनोज ने उनके लेखन-कर्म, रचना-प्रक्रिया और सरोकारों पर यह संवाद पूरा किया है....
हिंदी के सर्वाधिक चर्चित आलोचक नामवर सिंह ८६ वर्ष के हो गए हैं. समकालीन हिंदी साहित्य को जिस एक व्यक्ति...
चंद्रकुंवर बर्त्वाल बतौर कवि छायावाद के वैभव काल में समाने आते हैं. उनकी कविताओं में जहां छायावाद की समृद्धि है...
फेर्नान्दो पस्सोआ (Fernando Pessoa) २० वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के...
प्रसिद्ध कथाकार बटरोही हंगरी के बुदापैश्त में ३ वर्ष तक विजिटिंग प्रोफ़ेसर रहे. भारत की सभ्यता को लेकर उत्सुकता का...
भूखे दुखे और कला से अनजान जनपद के जन–कवि त्रिलोचन की रचनाधर्मिता और वैचारिक यात्रा को समझने की एक गम्भीर...
प्रभात रंजन प्रतिनिधि हिंदी युवा कथाकार हैं. हिंदी कहानी को एकरेखीय स्थूलता से मुक्त करके उसे अपने समय और संकट...
बच्चों के यौन दुराचार की खबरों से शायद ही अखबार का कोई दिन खाली जाता होगा. बाल मन पर इसका...
भारतीत संस्कृति में मदनोत्सव की परम्परा है. साहित्य इस दिन प्रेम कविताओं का पुष्पहार धारण करता है. कविताएँ निज़ार क्ब्बानी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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