गोपाल प्रधान : १ जनवरी,१९६५, गाजीपुर (उत्तर –प्रदेश) उच्च शिक्षा : BHU और JNU से आलोचना : छायावादयुगीन साहित्यिक वाद...
“मुद्दतों बाद उर्दू में एक ऐसा उपन्यास आया है, जिसने हिंदो–पाक की अदबी दुनिया में हलचल मचा दी है. क्या...
नरेश चंद्रकर : १ मार्च १९६०, नागौर (राजस्थान)साहित्य की रचना प्रकिया- १९९५ (गद्य)बातचीत की उड़ती धूल में – २००२ (कविता...
शिग़ाफ़ : दरारों पर पुल बनाने की कोशिशसुमन केशरी राजकमल से २०१० में प्रकाशित मनीषा कुलश्रेष्ठ के उपन्यास शिगाफ पर...
भारत जैसे उपनिवेश रहे देशों की आधुनिक सभ्यता अनूदित सभ्यता है. अनुवाद के लिए चुनाव और उसकी प्रस्तुतीकरण के कई...
तुलसी राम से अरुण देव की बातचीत आप जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के अन्तर-राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान में पिछले कई सालों...
उपनिवेश और हिन्दी कहानी अरुण देव हिन्दी में कहानी के उदय और विकास के दूसरे निहितार्थ भी हैं. बनारस पर...
गोयथे ने अनुवाद पर कहा है – अनुवाद की अपूर्णता के विषय में कोई चाहे कुछ भी कहे, पर यह...
अनुवाद एक गम्भीर सभ्यतागत गतिविधि है. यह भाषाओं के बीच सेतु ही नहीं संस्कृतिओं की साझी लिपि भी है. अंग्रेजी...
हम देखेंगे : जश्न-ए-फै ज़ ...
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