महेश वर्मा की कविताएँ
महेश वर्मा का पहला कविता संग्रह ‘धूल की जगह’ इसी वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. २१ वीं सदी की हिंदी कविता के वह एक प्रमुख कवि हैं. नींद और...
महेश वर्मा का पहला कविता संग्रह ‘धूल की जगह’ इसी वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. २१ वीं सदी की हिंदी कविता के वह एक प्रमुख कवि हैं. नींद और...
कुछ कवि हमेशा ऐसे होते हैं जो आपको विचलित कर देते हैं, यह विचलन बहुत गहरा होता है, चुप्पा-आत्म और मुखर-अस्तित्व दोनों को झकझोर देते हैं. यह विस्मित ही करता...
राजेश जोशी पिछले चार दशकों से हिंदी कविता में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति बनाए हुए हैं, सार्थक बने हुए हैं. कोई लगातार अच्छी कविताएँ कैसे लिख सकता है ? यह काव्य-यात्रा अपने...
आपने हरजीत सिंह का नाम सुना होगा ? यह शेर सुना होगा – 'आयीं चिड़ियाँ तो मैंने यह जाना/मेरे कमरे में आसमान भी था' हिंदी शायरी केवल दुष्यंत कुमार तक...
शहरों को केंद्र में रखकर कविताएँ लिखी जाती रही हैं, नगर की संवेदनात्मक उपस्थिति की पहचान का यह रचनात्मक उपक्रम कला, इतिहास और राजनीति की समझ से निर्मित होता है....
कृति : Gigi-scariaकवि चित्रकार शैलेन्द्र दुबे का एक संग्रह ‘हमने ख़ुशी के कुछ दिन तय किये’ २०१५ में प्रकाशित हुआ था. शैलेन्द्र की कविताएँ अपनी भंगिमा में मुखर नहीं है पर...
कालजयी रचनाकार काल को इसीलिए जीत लेते हैं कि उनसे हमेशा अंकुर फूटते रहते हैं, उनमें यह संभावना रहती है. देश–काल से परे भी उनके सभ्यागत निहितार्थ होते हैं. कोलम्बिया...
हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि शिरीष कुमार मौर्य की कविताएँ आपके लिए.शिरीष को समालोचन की तरफ से जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई.शिरीष कुमार मौर्य भूस्खलनसड़कों पर खंड-खंड पड़ा है हृदयमेरे पहाड़...
(Courtesy: Saumya Baijal)अंकिता आनंद की सक्रियता का दायरा विस्तृत है. नाटकों ने उनके अंदर के कवि को समुचित किया है. उनकी कविताओं में पाठ का सुख है, शब्दों के महत्व को...
सरबजीत गरचा हिंदी और अंग्रेजी में कविताएँ लिखते हैं. मराठी से हिंदी और अंग्रेजी में उनके किये अनुवाद सराहे गए हैं. यहाँ उनकी पांच कविताएँ प्रस्तुत हैं. इन कविताओं में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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