समीक्षा

परख : केवल कुछ वाक्य (उदयन वाजपेयी) : मिथलेश शरण चौबे

पेशे से चिकित्सक उदयन वाजपेयी (४ जनवरी-१९६०, सागर) के तीसरे  कविता संग्रह ‘केवल कुछ वाक्य’ का प्रकाशन धौली बुक्स (भुवनेश्वर) ने किया है, जो अधिकतर उड़िया और अंग्रेजी में किताबें...

वैधानिक गल्प: एक इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट : सत्यम श्रीवास्तव

कथाकार चंदन पाण्डेय का उपन्यास ‘वैधानिक गल्प’ चर्चा में है. कृति जब अपने समय को छूती है और उसका एक तरह से प्रतिपक्ष रचती है, उसका पूरक बनती है तब...

परख : बिसात पर जुगनू (वंदना राग) : सत्यम श्रीवास्तव

‘बिसात पर जुगनू’ कथाकार वंदना राग का पहला उपन्यास है, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर है. जो इसी वर्ष राजकमल से छप कर आया है.कई बार मुझे लगता है कि साहित्य इतिहास...

परख : कौन देस को वासी : वेणु की डायरी (सूर्यबाला) : ओम निश्चल

वरिष्ठ कथाकार सूर्यबाला का नया उपन्यास प्रकाशित हुआ है.- ‘कौन देस को वासी: वेणु की डायरी’. यह उपन्यास प्रवास की सामाजिक–मानसिक उलझनों से जूझता है. इसका उत्स खुद लेखिका का अपना...

परख : रानी रूपमती की आत्मकथा (प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़याल’)

रानी रूपमती की आत्मकथा’ उपन्यास है जिसे प्रियदर्शी ठाकुर ‘ख़्याल’ ने लिखा है जो इसी वर्ष राजकमल से छप कर आया है, इस उपन्यास की चर्चा कर रहीं हैं साधना...

परख: वंचना (भगवानदास मोरवाल) : अंकित नरवाल

‘वंचना’, भगवानदास मोरवाल (१९६०) का सातवां उपन्यास है, जिसे राजकमल ने प्रकाशित किया है. मोरवाल जी के उपन्यासों के अनुवाद मराठी,उर्दू और अंग्रेजी में हुए हैं, उन्हें दिल्ली हिंदी अकादेमी...

शर्मिष्ठा और उपन्यास : कौशल तिवारी

मिथकीय पात्रों पर आधारित उपन्यासों का हिंदी में पाठक वर्ग है. अंग्रेजी भाषी पाठकों में तो इसकी मांग रहती ही है, देवदत्त पटनायक, अमीश त्रिपाठी आदि इसके लोकप्रिय लेखक हैं....

लमही का हमारा कथा-समय : कीर्ति बंसल और शुभा श्रीवास्तव

विजय राय के संपादन में लमही का ‘हमारा कथा समय’ तीन अंको में फैला हुआ है, लगभग १७५ आलेखों वाले इस महाविशेषांक की इधर चर्चा है. २००० में वर्तमान साहित्य...

आख्यान-प्रतिआख्यान (२): चंचला चोर (शिवेन्द्र) : राकेश बिहारी

नई सदी के हिंदी उपन्यासों की अर्थवत्ता और सार्थकता के आकलन के स्तम्भ  ‘आख्यान-प्रतिआख्यान’ की इस दूसरी कड़ी में युवा कथाकार शिवेन्द्र के चर्चित उपन्यास ‘चंचला चोर’ का मूल्यांकन प्रस्तुत...

स्मरण में है आज जीवन : सूरज पालीवाल

भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित ‘स्मृतियों का बाइस्कोप’ शैलेंद्र शैल के स्मरणों का संग्रह है जिसमें आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ, इन्द्रनाथ मदान, कवि कुमार विकल, पहल के संपादक ज्ञानरंजन और...

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