आत्म

बटरोही : हम तीन थोकदार (पांच)

वरिष्ठ कथाकार बटरोही इधर ‘हम तीन थोकदार’ शीर्षक से अपने समय और इसमें शामिल उस भूत को लिख रहें हैं जिसके बिना किसी का कोई वर्तमान नहीं होता. यह कथा...

बटरोही : हम तीन थोकदार (चार )

वरिष्ठ कथाकार बटरोही के आख्यान ‘हम तीन थोकदार’ की यह चौथी क़िस्त थोकदारों के पुरखों की प्रचलित किम्वदंतियों, लोक-विश्वासों, इतिहास तथा गाथाओं में प्रवेश कर गयी है. बटरोही की कथा...

बटरोही : हम तीन थोकदार (तीन)

वरिष्ठ कथाकार बटरोही के आख्यान ‘हम तीन थोकदार’ की यह तीसरी क़िस्त है. लॉक डाउन से होते हुए बचपन, आस पड़ोस और फिर तीन थोकेदार जो अब धीरे-धीरे अपना व्यक्तित्व...

बटरोही : हम तीन थोकदार

हिंदी के वरिष्ठ कथाकार लक्ष्मण सिंह बिष्ट \'बटरोही\' ने इसी २५ अप्रैल को अपना ७५ वां जन्म दिन मनाया है, उन्हें अब यह लगने लगा है कि जिस कहानी को...

‘तब वे वही चुटकुले सुना रहे थे जिन्हें वे आंसुओं की जगह इस्तेमाल करते आये थे.’: आशुतोष भारद्वाज

(Artwork of Johnson Tsang)संपादक प्रथम पाठक है, कई बार रचनाएँ उसे उसी तरह ही सुख देती हैं तब वह आनायास ही पाठक की तरह चाहता है कि जो आनंद उसे...

निज घर : लटक मत फटक : व्योमेश शुक्ल

तस्वीर : आभार सहित Sughosh Mishraहिंदी के कवि व्योमेश शुक्ल, इधर रंगकर्मी, प्रखर. उनके निर्देशित नाटकों ने देश भर में ध्यान खींचा है, कामायनी, राम की शक्ति पूजा, रश्मिरथी चित्रकूट...

निज घर : कृष्णा सोबती : एक सोहबत : गरिमा श्रीवास्तव

‘डार से बिछुड़ी’, ‘मित्रो मरजानी’, ‘यारों के यार : तिन पहाड़’, ‘सूरजमुखी अंधेरे के’, ‘सोबती एक सोहबत’, ‘जिंदगीनामा’, ‘ऐ लड़की’, ‘समय सरगम’, ‘जैनी मेहरबान सिंह’, ‘बादलों के घेरे’, ‘हम हशमत’...

निज घर : गोरख पाण्डेय की डायरी

गोरख पांडेय (१९४५ – ८९, देवरिया)जे.एन.यू से ज्यां पाल सात्र के अस्तित्ववाद में अलगाव के तंतुओं पर पी.एच.-डी.जागते रहो सोने वालों और स्वर्ग से विदाई कविता संग्रह प्रकाशित भोजपुरी में भी...

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