प्रभात रंजन : पत्र लेखक, साहित्य और खिड़की
युवा चर्चित कहानीकार प्रभात रंजन की नई कहानी ‘पत्र लेखक, साहित्य और खिड़की’. इस कहानी को पढ़ते हुए आप अपने युवावस्था की बिसरी स्मृतियों में चले जाएँ तो कुछ आश्चर्य...
युवा चर्चित कहानीकार प्रभात रंजन की नई कहानी ‘पत्र लेखक, साहित्य और खिड़की’. इस कहानी को पढ़ते हुए आप अपने युवावस्था की बिसरी स्मृतियों में चले जाएँ तो कुछ आश्चर्य...
हिंदी कथा जगत में भारत और पाकिस्तान के बटवारे को केंद्र में रखकर बमुश्किल कुछ कहानियाँ हैं. बड़ी मानवीय त्रासदियाँ साहित्य में देर से आती हैं. तरुण भटनागर युवा कथाकार...
पेटिंग : Saqiba Haq परम्पराएँ जब धर्म का आवरण ओढ़ लेती हैं तब उनका शिकंजा और सख्त हो जाता है. अगर...
हिंदी कहानी में युवा रचनाशीलता के प्रतिनिधि के रूप में चंदन पाण्डेय समादृत हैं. समय और समाज को देखने का उनका अपना नज़रिया है और उसे प्रस्तुत करने के लिए...
युवा चर्चित कथाकार तरुण भटनागर की कहानिओं में आदिम सभ्यता में आधुनिक कही जाती संस्कृति की घुसपैठ की कथा मिलती है. और एक बड़ा सवाल भी कि आख़िरकार ‘मार्डन’ होना...
अपर्णा मनोज की कहानिओं ने इधर अपनी पहचान बनाई है. प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में वह लगातार छप रही हैं. ‘ख़ामोशियों का मुल्क’ में एक ही शहर में, एक ही नदी के...
युवा कथाकार तरुण भटनागर की यह कहानी विस्मित करती है. आदिवासी समाज की संवेदना और यथार्थ के कई आयाम यहाँ सामने आ रहें हैं. तरुण के पास संवेदनशील भाषा है.
अपर्णा मनोज अपनी कहानिओं के लिए पूरी तैयारी करती हैं. चाहे उसका मनोवैज्ञानिक पक्ष हो यह उसका वातावरण. यह कहानी नैनीताल की पृष्भूमि पर है. यह स्त्रीत्व की यात्रा की...
संजीव चंदन की कहानी एक ऐसी खुद मुख़्तार स्त्री के आस पास बुनी गई है जिसमें हमारे समय की कई कद्दावर स्त्रिओं की छवियाँ हैं. एक नाम तो खुद कथावाचक...
प्रभात रंजन प्रतिनिधि हिंदी युवा कथाकार हैं. हिंदी कहानी को एकरेखीय स्थूलता से मुक्त करके उसे अपने समय और संकट से जोड़ने का जो उपक्रम इधर युवा रचनाशीलता में दिखता...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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