वी.एस.नायपॉल : आधा जीवन – ३ : जय कौशल
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वी.एस.नायपॉल के महत्वपूर्ण उपन्यास \'आधा जीवन\' (Half a Life) का तीसरा और अंतिम भाग प्रस्तुत है. इसका अनुवाद जय कौशल ने किया है, यह अनुवाद उनके अकादमिक कार्य का हिस्सा...
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वी.एस.नायपॉल के महत्वपूर्ण उपन्यास \'आधा जीवन\' (Half a Life) का तीसरा और अंतिम भाग प्रस्तुत है. इसका अनुवाद जय कौशल ने किया है, यह अनुवाद उनके अकादमिक कार्य का हिस्सा...
राजकमल निःसंदेह हिंदी ही नहीं भारतीय भाषाओं का सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन संस्थान है. इसकी उम्र आज़ाद भारत की ही उम्र है. इसके इतिहास का जीवंत और दीर्घ हिस्सा शीला सन्धु के...
सुकृता पॉल कुमार भारतीय अंग्रेजी लेखकों में प्रमुखता से रेखांकित की जाती हैं. 'विदाउट मार्जिन्स', 'फोल्ड्स ऑफ़ साइलेंस', 'नैरेटिंग पार्टीशन', 'दि न्यू स्टोरी,' 'इस्मत : हर लाइफ, हर टाइम्स' आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ...
दंगे और हिंसा भाषा के दुरुपयोग की ओर भी इशारा करते हैं और यह कि साहित्य ने अपना काम ठीक से नहीं किया है, वह आवश्यक विवेक और संवेदनशीलता पैदा...
खंजना शर्मा (जन्म 1978) असम के पाठसाला में रहती हैं. 2019 में उनकी कविताओं का पहला संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसका शीर्षक है“पानीर दुआर” यानि “पानी द्वार”. इसके अलावा उनकी कविताएँ...
मराठी के समकालीन कवि फ़ेलिक्स डिसोज़ा के दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. उन्होंने कुछ नाटकों और नुक्कड़ नाटकों का भी निर्देशन किया है. उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा...
इवॉन्न वेरा (Yvonne Vera) अफ्रीका के कुछ महत्वपूर्ण कथाकारों मे से एक मानी जाती हैं. उनका पहला संग्रह ‘Why Don\'t You Carve Other Animals’, 1992 में प्रकाशित हुआ था. इस...
अनुवाद दो भाषाओं को जहाँ जोड़ता है वहीं दो संस्कृतियों को मिलाता भी है. ‘इस्टोनिया’ की कवयित्री डोरिस कारेवा की अपनी ख्याति तो है ही उन्होंने कबीर का इस्टोनियन भाषा...
दुनिया में जिन कवियों को विश्व-कवि और महाकवि का दर्ज़ा मिला है, उनकी अग्रणी पंक्ति में पाब्लो नेरूदा शुमार किए जाते हैं. उनका जन्म (वास्तविक नाम: रिकार्दो एलिसेर नेफ्ताली रेयेस...
फिलिस्तीनी कवि नजवान दरवीश की कुछ कविताओं का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कवि मंगलेश डबराल ने किया है.
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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