महमूद दरवेश की डायरी : यादवेन्द्र
निर्वासन और प्रतिरोध के कवि महमूद दरवेश (१३, मार्च १९४१ – ९, अगस्त २००८) को फिलस्तीन के राष्ट्रीय कवि के रूप में भी जाना जाता है. ३० कविता संग्रह और...
निर्वासन और प्रतिरोध के कवि महमूद दरवेश (१३, मार्च १९४१ – ९, अगस्त २००८) को फिलस्तीन के राष्ट्रीय कवि के रूप में भी जाना जाता है. ३० कविता संग्रह और...
1954 के साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित कथाकार अर्नेस्ट हेमिंग्वे (Ernest Miller emingway: July 21, 1899 – July 2, 1961) की 1927 में प्रकाशित चर्चित कहानी The Killers...
हिंदी में अनूदित पंजाबी कविताओं की इस श्रृंखला में अपने गुरप्रीत, बिपनप्रीत और भूपिंदरप्रीत की कविताएँ समालोचन पर पढ़ी हैं. इस क्रम में आज अम्बरीश की बारह कविताओं का अनुवाद...
कविताओं का अनुवाद ज़ोखिम से भरा मुश्किल काम है, एक ही कवि की एक ही कविता के दो अनुवादों में बड़ा अंतर भी कई बार दिख जाता है. अनुवाद एक...
कवि दो अलग भाषाओँ में कविताएँ लिख रहा हो तो दोनों तरह की कविताओं में संवेदनात्मक, वैचारिक और शिल्पगत अंतर होंगे. क्या ये अंतर भाषा के हैं, भाषा के पाठकों...
17 वीं शताब्दी के महान मीमांसक, प्रत्यक्षवादी दर्शनिक स्पिनोज़ा (24 November 1632 – 21 February 1677) का प्रभाव १८ वीं सदी के यूरोपीय पुनर्जागरण पर रहा है. उनकी कृति \'नीतिशास्त्र\' (1677) का...
जापानी भाषा के ख्यात कथाकार हारुकी मुराकामी की कहानी ‘The Seventh Man’ का हिंदी अनुवाद सुशांत सुप्रिय ने किया है. यह हिंदी अनुवाद ‘फ़िलिप गैब्रिएल’ और ‘जे रूबिन’ के जापानी...
महान दर्शनिक स्पिनोज़ा (24 November 1632 – 21 February 1677) की प्रसिद्ध कृति \'नीतिशास्त्र\' (1677) के हिंदी अनुवाद का चुनौतीपूर्ण और गुरुतर कार्य दो प्रतिभाशाली लेखक - प्रत्यूष पुष्कर और...
(फोटो - चन्द्र गुरुंग) चन्द्र गुरुंग नेपाली भाषा के युवा कवि हैं. वह समकालीन नेपाली कविताओं का हिंदी में और हिंदी, अंग्रेजी कविताओं का नेपाली में अनुवाद भी करते हैं. उनके...
महान दर्शनिक स्पिनोज़ा की प्रसिद्ध कृति \'नीतिशास्त्र\' का अनुवाद आप समालोचन पर पढ़ रहे हैं. दार्शनिक अवधारणाओं का हिंदी में अनुवाद जटिल कार्य है. युवा अध्येता प्रत्यूष पुष्कर और प्रचण्ड प्रवीर इस...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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