नबीना दास: अपर्णा मनोज
भारतीय अंगेजी लेखन में कथा साहित्य की प्रतिष्ठा और उसका प्रभाव है. अंगेजी में कविता लिखने वाली भारतीय युवा पीढ़ी यहाँ भी नेपथ्य में रहकर सक्रिय हैं. नबीना दास इसी...
भारतीय अंगेजी लेखन में कथा साहित्य की प्रतिष्ठा और उसका प्रभाव है. अंगेजी में कविता लिखने वाली भारतीय युवा पीढ़ी यहाँ भी नेपथ्य में रहकर सक्रिय हैं. नबीना दास इसी...
निर्वासन में रह रहीं इराकी कवयित्री दून्या मिखाइल की कविताओं का चयन और अनुवाद कवि सुधीर सक्सेना द्वारा. दून्या मिखाइल (Dunya Mikhail)१९६५ इराक में जन्मी दून्या मिखाइल ने ‘द बगदाद आब्जर्वर’...
नीटू दास (Nitoo Das) गुवाहाटी से हैं. Constructions of the Assamese Identity under the British (1826-1920) विषय पर (जे.एन.यू.) से पीएच.डी. हैं. इंग्लिश में कविताएँ लिखती हैं. उनकी कविताएँ Poetry International Web, Pratilipi, Muse India,...
कवि, संस्कृतिकर्मी प्रेमचन्द गांधी ने विश्व साहित्य से स्त्रिओं द्वरा रचित स्त्री संवेदना और सौंदर्य – बोध की कुछ कविताओं का चयन कर उनका हिंदी में अनुवाद किया है. ये...
नवनीता कानूनगो, शिलांग से हैं. उनकी कविताएँ प्रतिष्ठित अंगेजी पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं. निर्वासन की स्मृतियाँ और पहचान का संकट इन कविताओं में सघन रूप से अभिव्यक्त हुआ है. हिंदी...
साहित्य के भविष्य पर आयोजित ‘बहसतलब – २’ की अगली कड़ी में डोनाल्ड हॉल का यह लेख प्रस्तुत है जो अमरीकी समाज में कविता के समाप्त होने की आशंका और...
गत ५जून को प्रसिद्ध अमेरिकी विज्ञान कथा लेखक रे ब्रेडबरी का निधन हो गया. उन्होंने सैकड़ों उपन्यास, कहानियों और नाटकों के साथ ही टेलीविजन और फिल्मों के लिए पटकथाएं भी...
फेर्नान्दो पस्सोआ (Fernando Pessoa) २० वीं सदी के आरम्भ के पुर्तगाली कवि, लेखक, समीक्षक व अनुवादक थे और दुनिया के महानतम कवियों में उनकी गिनती होती है. अपने पूरे जीवन...
भारतीत संस्कृति में मदनोत्सव की परम्परा है. साहित्य इस दिन प्रेम कविताओं का पुष्पहार धारण करता है. कविताएँ निज़ार क्ब्बानी की हों तो सुगंध और मिठास बढ़ जाती है. इन...
पोलैंड की कवयित्री जिन्हें साहित्य का १९९६ का नोबल पुरस्कार मिला, जिन्हें कविता का मोजार्ट कहा जाता है, और माना गया कि उनकी कविता बीथोवेन की ऊंचाई को छू लेती...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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