वनलता सेन: ओस की आवाज़: शिव किशोर तिवारी
जीवनानंद दास (17 February 1899- 22 October 1954) साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत पहले बांग्ला कवि हैं. उन्हें ‘कवियों के कवि’ कहा जाता है, वनलता सेन नाम से उनका संग्रह १९४२...
जीवनानंद दास (17 February 1899- 22 October 1954) साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत पहले बांग्ला कवि हैं. उन्हें ‘कवियों के कवि’ कहा जाता है, वनलता सेन नाम से उनका संग्रह १९४२...
साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित हालडोर किलयान लैक्सनेस्स की कहानी ‘न्यू आइसलैंड’ का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद वरिष्ठ अनुवादक मधु बी जोशी ने किया है. इस कहानी का...
ऑस्कर वाइल्ड (16 अक्तूबर, 1854 – 30 नवम्बर, 1900) की 1898 में लिखी कविता ‘The Ballad of Reading Gaol’ जेलों में कैदियों की दुर्दशा को प्रस्तुत करने वाली कविता के...
शिम्बोर्स्का को साहित्य के लिए १९९६ का नोबेल पुरस्कार जब मिला, हिंदी में भी उनकी चर्चा बड़े स्तर पर आरम्भ हुई और उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित होने लगे. १९९८...
भारतीय अंग्रेजी कथा-साहित्य में तनुज सोलंकी युवा प्रतिभा हैं, उन्हें उनकी कहानियों के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार मिल चुका है. यह कहानी आकार में छोटी है पर असर इसका गहरा...
भारतीय फ़िल्म निर्देशकों में ऋत्विक घटक (4 नवम्बर, 1925 - से 6 फ़रवरी, 1976) का महत्वपूर्ण स्थान है. उन्होंने बांग्ला में कुछ कहानियाँ भी लिखीं हैं, जिनमें से सात का अनुवाद...
‘इस तरह खत्म होती है दुनिया/धमाके से नहीं रिरियाहट से.’ नोबेल पुरस्कार प्राप्त- कवि, आलोचक, नाटककार और संपादक टी एस एलियट (1888–1965) ने विश्व साहित्य को गहरे प्रभावित किया है,...
जापना के हिरोशिमा पर जब अमेरिका ने परमाणु बम्ब गिराए तब जो लोग बचे रह गये वह आजीवन कई तरह की समस्याओं से ग्रस्त रहे. उन्हें सामाजिक तौर पर स्वीकार...
इज़ाबेल अलेंदे (चीले,१९४२) लातिन अमेरिकी कथा-जगत की मशहूर हस्ती हैं, उन्हें मार्केज़ और नेरुदा से प्रभावित माना जाता है, स्त्री के अनुभवों पर आधारित उनकी कहानियों में मिथ और यथार्थ ...
स्पेनिश भाषा में लिखने वाले फ़र्नांडो सोर्रेंटीनो की कैफ़ी हाशमी द्वारा हिंदी में अनूदित कहानी ‘जीवनशैली’ समालोचन पर आप पढ़ चुके हैं. प्रस्तुत कहानी ‘वापसी’ का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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