रीझि कर एक कहा प्रसंग : वीरेन डंगवाल
\"कविता एक प्रतिसंसार रचती है. जिसमें कई क्षतिपूर्तियां हैं और जो अपने समय का संधान भी करती है. उसमें भविष्य का स्वप्न निहित होता है. अपने समय को समझने की...
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\"कविता एक प्रतिसंसार रचती है. जिसमें कई क्षतिपूर्तियां हैं और जो अपने समय का संधान भी करती है. उसमें भविष्य का स्वप्न निहित होता है. अपने समय को समझने की...
डॉ. पुरुषोत्तम अग्रवाल ::जन्म : २५ अगस्त, १९५५, ग्वालियर उच्च शिक्षा जे.एन.यू से महत्वपूर्ण आलोचक – विचारक कुछ कविताएँ भीनाटक, वृत्तचित्र और फिल्मों में दिलचस्पीसंस्कृति : वर्चस्व और प्रतिरोध, तीसरा...
लीना मल्होत्रा राव :जन्म : ३ अक्टूबर १९६८, गुडगाँव कविताएँ, लेख पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशितनाट्य लेखन, रंगमंच अभिनय, फिल्मों और धारावाहिकों के लिए स्क्रिप्ट लेखनविजय तेंदुलकर, लेख टंडन, नरेश मल्होत्रा. सचिन...
हृषीकेश सुलभ से वंदना शुक्ला की बातचीत रंगमंच के क्षेत्र में आज कुछ विसंगतियाँ दिखाई दे रही हैं, पिछले कुछ वर्षों से हिंदी नाटकों के लेखन में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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