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रीझि कर एक कहा प्रसंग : वीरेन डंगवाल

\"कविता एक प्रतिसंसार रचती है. जिसमें कई क्षतिपूर्तियां हैं और जो अपने समय का संधान भी करती है. उसमें भविष्य का स्वप्न निहित होता है. अपने समय को समझने की...

सहजि सहजि गुन रमैं : पुरुषोत्तम अग्रवाल

डॉ. पुरुषोत्तम अग्रवाल ::जन्म : २५ अगस्त, १९५५, ग्वालियर उच्च शिक्षा जे.एन.यू से महत्वपूर्ण आलोचक – विचारक कुछ कविताएँ भीनाटक, वृत्तचित्र और फिल्मों में दिलचस्पीसंस्कृति : वर्चस्व और प्रतिरोध, तीसरा...

सहजि सहजि गुन रमैं : लीना मल्होत्रा राव

लीना मल्होत्रा राव :जन्म : ३ अक्टूबर १९६८, गुडगाँव कविताएँ, लेख पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशितनाट्य लेखन, रंगमंच अभिनय, फिल्मों और धारावाहिकों के लिए स्क्रिप्ट लेखनविजय तेंदुलकर, लेख टंडन, नरेश मल्होत्रा. सचिन...

परख और परिप्रेक्ष्य : हृषीकेश सुलभ

     हृषीकेश सुलभ  से वंदना शुक्ला की बातचीत    रंगमंच के क्षेत्र में आज कुछ विसंगतियाँ दिखाई दे रही हैं, पिछले कुछ वर्षों से हिंदी नाटकों के लेखन में...

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