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बचपन का नाटक : व्योमेश शुक्ल

(photo credit Gaurav Girija Shukla)कवि व्योमेश शुक्ल की रंगमंचीय सक्रियता ने ध्यान खींचा है. छोटे-बड़े शहरों में वह लगातार नाट्य-रूपकों का प्रदर्शन कर रहें हैं. उनके पास इस माध्यम और इससे...

लमही : हमारा कथा-समय – 2 : शशिभूषण मिश्र

विजय राय द्वारा संपादित पत्रिका ‘लमही’ के हिंदी कथा-साहित्य पर केन्द्रित अंक के दूसरे खंड ‘हमारा कथा-समय-2’ में ४८ कथाकारों पर आलोचकों और विवेचकों ने अपनी आलोचना प्रस्तुत की है....

वसु गंधर्व : किसी रात की लिखित उदासी में

(वसु गंधर्व विनोद कुमार शुक्ल के साथ )वसु गंधर्व (8 फरवरी २००१) की काव्य पुस्तिका \'किसी रात की लिखित उदासी में\' का प्रकाशन रचना समय ने किया है. इसकी भूमिका...

स्त्री चिंतन की चुनौतियाँ : रेखा सेठी

जिसे हम स्त्री-लेखन कहते हैं उसमें अस्मिता और चेतना के साथ-साथ अनुभव का प्रामाणिक संसार और भाषा की नई उड़ान भी है. स्त्री लेखन पर रेखा सेठी  पिछले कई वर्षों...

हरिवंशराय बच्चन : कवि नयनों का पानी : पंकज चतुर्वेदी

हरिवंशराय बच्चन की कविता के प्रशंसकों में अज्ञेय, शमशेर बहादुर सिंह और रघुवीर सहाय जैसे कवि शामिल हैं वहीँ प्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह का मानना था कि \'बच्चन की कविता...

शशिभूषण का अपना एक स्टाइल है : हरे प्रकाश उपाध्याय

कथाकार शशिभूषण द्विवेदी (जन्म- 26 जुलाई 1975, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश) के दो कहानी संग्रह- ‘ब्रह्महत्या तथा अन्य कहानियाँ’ और ‘कहीं कुछ नहीं’प्रकाशित हैं. उन्हें ‘ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार’, ‘सहारा समय कथा...

मति का धीर : लक्ष्मीधर मालवीय

मदनमोहन मालवीय के पौत्र लक्ष्मीधर मालवीय हिंदी के शिक्षक, भाषाशास्त्री, संपादक, कथाकार, चित्रकार आदि तो थे ही जापान में उनका घर लेखकों का एक सहज आत्मीय अड्डा भी बना रहा....

अपने आकाश में (सविता भार्गव) : अनुपम सिंह

“प्रेम में पड़ी स्त्री मुझे अच्छी लगती हैलेकिन मुझे दुख होता हैकिसी पुरुष की तरह कामोत्तेजित होकर उससेमैं प्यार नहीं कर सकतीनहीं देखा जाता मुझसेछली गयी स्त्री का दुखलेकिन मुझे...

परख : अनासक्त आस्तिक (ज्योतिष जोशी ) : मीना बुद्धिराजा

अनासक्त आस्तिक : जैनेन्द्र कुमार की जीवनीज्योतिष जोशीप्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली-2प्रथम संस्करण-2019आवरण चित्र-प्रदीप कुमारमूल्य- रू- 299पृष्ठ संख्या- 299क्रांतिकारी कथाकार और मौलिक चिंतक जैनेन्द्र कुमार की जीवनी ‘अनासक्त आस्तिक’...

जन्म से ही जीवित है पृथ्वी (प्रेमशंकर शुक्ल) : राहुल राजेश

\'तितली फूल को उसकी टहनी में न पाकरबिरह में हैजूड़े में वह फूल भी है अनमना बहुतरह-रह कर आ रही है उसे अपनी प्रिया की गहरी याद’प्रेमशंकर शुक्ल मुख्यत: प्रेम...

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