सबद भेद : भगवत रावत की कविता
\"सूरज के ताप में कही कोई कमी नहींन चन्दमा की ठंडक मेंलेकिन हवा और पानी में जरूर कुछ ऐसा हुआ हैकि दुनिया मेंकरुणा की कमी पड़ गई है,\"वरिष्ठ कवि भगवत...
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\"सूरज के ताप में कही कोई कमी नहींन चन्दमा की ठंडक मेंलेकिन हवा और पानी में जरूर कुछ ऐसा हुआ हैकि दुनिया मेंकरुणा की कमी पड़ गई है,\"वरिष्ठ कवि भगवत...
उदय प्रकाश सर्वाधिक लोकप्रिय कथाकारों में से हैं. हिंदी कहानी को उन्होंने संवेदनशील भाषा दी है, यथार्थ के अंकन की एक नई शैली ईजाद की है. युवा कथाकरों पर उनका...
शमशेर जन्म शताब्दी वर्ष में शमशेर को एक नया और स्थाई पता मिला है. पता है वर्धा का. यहाँ आप उनकी अप्रकाशित रचनाओं के पन्ने पलट सकते हैं. उनके बनाए...
पेंटिग :पिकासो कवि आलोचक गणेश पाण्डेय साहित्य के आधारभूत तत्वों को अपनी विवेचना शैली में आखों से ओझल नहीं होने देते. उनके लिए रचनाकार का ईमान और आलोचना की ईमानदारी साहित्य...
हिंदी सिनेमा के मशहूर संगीतकार नौशाद अली को याद करते हुए उनके संगीत पर वेद उनियाल का आलेख. नौशाद से लेखक की मुलाकातों का दिलचस्प चल चित्र.नौशाद : दूर कोई गाए...
अनामिका१७ अगस्त १९६१, मुजफ्फरपुर(बिहार)दिल्ली विश्वविद्यालय से अँग्रेजी में एम.ए., पी.एचडी.कविता-संग्रह : गलत पते की चिट्ठी, बीजाक्षर, अनुष्टुप, समय के शहर में, खुरदुरी हथेलियाँ, दूब धानआलोचना : पोस्ट–एलियट पोएट्री ,स्त्रीत्व का मानचित्र , तिरियाचरित्रम; उत्तरकांड, मन मांजने की जरूरत, पानी जो पत्थर पीता है. एक ठो...
(यह फोटो प्रख्यात कथाकार, कवि उदय प्रकाश के कैमरे से है.)महत्वपूर्ण आलोचक विचारक प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल का यह संस्मरण जे.एन.यू. और नामवर सिंह पर है. इसे एक सम्मोहक पर विचारोत्तेजक...
ख्यात आलोचक नामवर सिंह के ८६ वे जन्म दिन पर डॉ. जगदीश्वर चतुर्वेदी का लेख और सुमन केशरी से नामवर जी की बातचीत आपने पढ़ी. अब नन्द भारद्वाज का लेख...
नामवर सिंह का जे. एन. यू. आना और विश्वविद्यालय की व्यवस्था में हिंदी साहित्य के पठन - पाठन के प्रति उनके समर्पण और संघर्ष की कथा यहाँ आप पढ़ते हैं.यह...
हरिओम राजोरिया८ अगस्त १९६४, अशोकनगर (म.प्र.)यह एक सच है(१९९३ में २१ कविताओं की कविता पुस्तिका) हंसीघर (१९९८)और खाली कोना(२००७) कविता संग्रहअंग्रेजी सहित अनेक भारतीय भाषाओँ में कविताओं के अनुवाद प्रकाशितमध्य...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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