सहजि सहजि गुन रमैं : कुमार अनुपम
कुमार अनुपम ७ मई १९७९ बलरामपुर, उ.प्रबी.एससी., एम.ए. (हिन्दी) और डी.एम.एल.टी. प्रशिक्षण कविताएँ, पेंटिंग, कला समीक्षा और संपादनकविता समय १ (चन्द्रकान्त देवताले और कुमार अनुपम की कविताओं का सम्मिलित संग्रह)...
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कुमार अनुपम ७ मई १९७९ बलरामपुर, उ.प्रबी.एससी., एम.ए. (हिन्दी) और डी.एम.एल.टी. प्रशिक्षण कविताएँ, पेंटिंग, कला समीक्षा और संपादनकविता समय १ (चन्द्रकान्त देवताले और कुमार अनुपम की कविताओं का सम्मिलित संग्रह)...
महान कविताएँ धर्मग्रंथ बनने के लिए अभिशप्त हैं. इन महान शापित कविताओं ने हमारे बोध को गिरवी बना लिया है. वे इतनी ताकतवर हैं कि स्वीकृत पाठ के इतर उनके...
विमलेश त्रिपाठी कविता और कहानी दोनों में समान रूप से सक्रिय हैं. उनकी कविताओं का एक संग्रह, हम बचे रहेंगे प्रकाशित है. उनकी कविताओं में वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह ने...
किसी भी देश का पापुलर कल्चर फिल्मों से मिलकर बनता है. हिंदी फिल्मो के गीत– संगीत ने एशिया के बड़े हिस्से को प्रभावित किया है, वह आम लोगों के जीवन...
फोटो: भावना पन्त महत्वपूर्ण कवि–कथाकार गीत, बहुज्ञ और बहुश्रुत हैं. उनकी डायरी के पन्ने उनकी सृजनात्मकता के तलघर हैं जहां कई जरूरी सामान बेतरतीब जमा हैं. कविता के लिए तमाम कच्चा...
विमल चंद्र पाण्डेय रचनात्मक लेखन और फ़िल्म निर्माण२० अक्टूबर,१९८१. बलिया (उत्तर-प्रदेश)बी. एस-सी,, एम. ए.कहानी संग्रह डरभारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशितभारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखनपुरस्कारशहर दर शहर : वाराणसी,दिल्ली, लखनऊ, इलाहबाद और अब...
हिंदी कथा जगत में अगर निर्मल वर्मा न हुए होते तो शायद हम जीवन के एकांत और मन के अंतरतम के यथार्थ से वंचित रह जाते. भारतीय मनीषा के अस्तित्वगत...
प्रेमचंद सहजवाला१८ दिसम्बर, 1945.चर्चित कथाकार. सभी प्रमुख पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित. तीन कहानी संग्रह, एक पुरस्कृत. एक वृहद उपन्यास और एक संस्मरणात्मक कहानी संग्रह शीघ्र प्रकाश्य. भगत सिंह: इतिहास के...
प्रदीप जिलवाने१४ जून १९७८, खरगोन (म.प्र.) एम.ए. हिन्दी साहित्य पहला कविता संग्रह ‘जहाँ भी हो जरा-सी संभावना’ की पाण्डुलिपि को भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार और यही से प्रकाशित भीहिन्दी साहित्य...
पेंटिग : पाब्लो पिकासोपेंटिग : पाब्लो पिकासोगणेश पाण्डेय साहित्य के अध्येता हैं. उनके कई कविता संग्रह, कथा साहित्य और आलोचना पुस्तकें प्रकाशित हैं. कविता पर यह लेख कविता के बहाने...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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