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सबद भेद : जन-सरोकारों की सान पर अज्ञेय की कविता

अज्ञेय जनशताब्दी वर्ष में अज्ञेय को फिर से देखने – समझने के गम्भीर प्रयास हो रहे हैं. उनके स्वभावगत स्वाधीन विवेक और उनकी कला का एक विस्तृत वितान हमारे सामने...

मीमांसा : कार्ल पॉपर

सहित्य और विचारों की दुनिया का गहरा नाता है. विचारों ने कला की दुनिया को बेतरह प्रभावित किया है. समालोचन कला के साथ ही साथ वैचारिकता और सरोकारों को भी...

प्रभात रंजन: अनुवाद की गलती

प्रभात रंजन: अनुवाद की गलती

प्रभात रंजन प्रतिनिधि हिंदी युवा कथाकार हैं. हिंदी कहानी को एकरेखीय स्थूलता से मुक्त करके उसे अपने समय और संकट से जोड़ने का जो उपक्रम इधर युवा रचनाशीलता में दिखता...

सहजि सहजि गुन रमैं :: लीना मल्होत्रा राव

मैं क्यों लिखती हूँ :मैंने बहुत पहले लिखना शुरू किया जब मैं १६ वर्ष की थी, मेरी दीदी आकाशवाणी  के लिए नाटक लिखती थीं और मैं उनकी स्क्रिप्ट्स पढ़ा करती थी....

कथा – गाथा : मीनाक्षी स्वामी

मीनाक्षी स्वामी के उपन्यास भूभल को साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश द्वारा बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार के लिए चुना गया है. बधाई और आप सबके लिए उनकी एक कहानी- मीडीया ट्रायलइस कहानी में...

सहजि सहजि गुन रमैं : सिद्धेश्वर सिंह

सिद्धेश्वर सिंह११ नवम्बर १९६३हिंदी साहित्य में पीएच.डी.कविता संग्रह कर्मनाशा (२०१२)  अंतिका प्रकाशन, गाज़ियाबाद से सभी पत्र पत्रिकाओं में कविताएँ, लेख, अनुवाद प्रकाशितउतरांचल उच्च शिक्षा में असोशिएट प्रोफेसरई पता :  sidhshail@gmail.com  सिद्धेश्वर की...

सहजि सहजि गुन रमैं : अशोक कुमार पाण्डेय

अशोक कुमार पाण्डेय की कविताएँ अपने समय और समाज के सवालों की कविताएँ हैं. सत्ता के मनुष्य विरोधी तंत्र और आम जन की यातनाओं के ब्यौरे कविता को धारदार बनाते...

थाईलैंड : रामजी तिवारी

थाईलैंड : रामजी तिवारी

कवि, कथाकार रामजी तिवारी ने थाईलैंड के इस यात्रा संस्मरण में मौज़ और मज़े के टूरिज्म से परे देह-व्यापर पर पर टिकी उस देश की अर्थव्यवस्था के पीछे की विद्रूपताओं...

सहजि सहजि गुन रमैं : प्रेमचन्द गाँधी

प्रेमचंद गांधी२६ मार्च, १९६७,जयपुरकविता संग्रह :  इस सिंफनी मेंनिबंध संग्रह : संस्‍कृति का समकालकविता के लिए लक्ष्‍मण प्रसाद मण्‍डलोई और राजेंद्र बोहरा सम्‍मानकुछ नाटक लिखे, टीवी और सिनेमा के लिए...

बहसतलब (८ ) आलोचना का संकट : कितना वास्तविक :: गंगा सहाय मीणा

  आलोचना का संकट : कितना वास्‍तविक  गंगा सहाय मीणायुवा आलोचक और टिप्पणीकार गंगा सहाय मीणा ने आलोचना के संकट पर बहस को आगे बढाते हुए  प्रारम्भिक आलोचना के सरोकारों...

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