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कथा- गाथा :: सईद अय्यूब

पेंटिग : Farida Batoolयुवा कथाकार सईद अय्यूब के पास कहानी की ज़मीन है, कहने का अपना अंदाज़ और अन्त तक दिलचस्पी बनाए रखने का हुनर भी है. गरज कि एक...

सहजि सहजि गुन रमैं :: राकेश श्रीमाल

मुंबई में अपने चित्रकार मित्रों के साथ  राकेश श्रीमाल (left)बुखार के एकांत सेराकेश श्रीमालपिछले समूचे वर्ष मेरी तबियत एकाधिक बार असहज हुई. बुखार से नहीं, अन्‍य कारणों से. मैं बुखार...

सहजि सहजि गुन रमैं : निर्मला पुतुल

निर्मला पुतुल ख्यातनाम हैं. निर्मला के काव्य संसार में आदिवासी स्त्री अस्मिता के सरोकार नगाड़े की तरह बजते हैं. यह ऐसी पुकार है जिसने हिंदी कविता का भूगोल बदल दिया...

बहसतलब : रचना और आलोचना का सवाल :५ : गणेश पाण्डेय

“आज हिंदी की मार्क्सवादी आलोचना का विकास न अतीत के गुणगान से संभव है न चालीस के दशक के स्तालिनवादी मान्यताओं के पुनर्कथन और पुनरावृति से. जरूरत है समकालीन सामाजिक...

बहसतलब : रचना और आलोचना का सवाल :४:महेश और प्रभात

रचना और आलोचना के रिश्ते को लेकर शुरू हुई संवाद श्रृंखला को अपने अपने तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं युवा लेखक समीक्षक महेश चंद्र पुनेठा और प्रभात कुमार मिश्र. संकटग्रस्त समय में...

बहसतलब : रचना और आलोचना का सवाल :३:मोहन श्रोत्रिय

बहसतलब के अंतर्गत रचना और आलोचना के सवाल पर गोपाल प्रधान और जगदीश्वर चुतर्वेदी के वैचारिकी-क्रम को आगे बढ़ा रहे हैं लेखक मोहन श्रोत्रिय. आलोचना के संकट पर विचार करते...

बहसतलब : रचना और आलोचना का सवाल :२ :

रचना और आलोचना के सवाल पर संवाद को आगे बड़ा रहे हैं जनसंचार की सैद्धान्तिकी के विशेषज्ञ और प्रसिद्ध आलोचक जगदीश्वर चतुर्वेदी. आलोचना में पाठ को देखने की उतर आधुनिक...

बहसतलब : रचना और आलोचना का सवाल :१:

            आलोचना जहां पाठ केंद्रित होती है वही कई बार वह स्वतंत्र और स्वायत्त भी. अक्सर वह पाठ को आलोकित करती है, व्याख्यित करती है, उसकी...

सहजि सहजि गुन रमैं : सुधीर सक्सेना

सुधीर सक्सेनाजन्म - लखनऊ में ३० सितम्बर, १९५५कविता संग्रह -- \'कभी न छीने काल\' , \'बहुत दिनों बाद\' \'समरकंद में बाबर\', \'रात जब चंद्रमा बजाता है बाँसुरी\'सम्मान --- \'सोमदत्त पुरस्कार\', \'पुश्किन...

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