गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़
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पिंजरा बन कर तैयार हो गया था. बाल्थाज़ार ने आदतन उसे छज्जे से टाँग दिया, और जब उसने दोपहर का भोजन ख़त्म किया, तब तक सभी उसे दुनिया का सबसे सुंदर पिंजरा बताने लगे थे. उस पिंजरे को देखने के लिए इतने लोग आए कि घर के सामने भीड़ जुट गई, और बाल्थाज़ार को उसे छज्जे से उतार कर अपनी दुकान बंद कर देनी पड़ी.
“तुम्हें दाढ़ी बनानी होगी,”उसकी पत्नी उर्सुला ने कहा. “तुम बंदर जैसे लग रहे हो.”
“दोपहर का खाना खाने के बाद दाढ़ी बनाना बुरी बात होती है,”बाल्थाज़ार ने कहा.
दो हफ़्ते से बढ़ रही उसकी दाढ़ी के बाल छोटे, कड़े और चुभने वाले थे, और वे किसी घोड़ी के अयाल जैसे थे. इसकी वजह से उसके चेहरे का भाव किसी डरे-सहमे लड़के जैसा लग रहा था. लेकिन यह एक भ्रामक मुद्रा थी. फ़रवरी में वह तीस साल का हो गया था. वह बिना उर्सुला से ब्याह किए उसके साथ पिछले चार वर्षों से रह रहा था. उनके कोई बच्चा भी नहीं था. जीवन ने उसे सावधान रहने की कई वजहें दी थीं, किंतु उसके पास भयभीत होने का कोई कारण नहीं था. उसे तो यह भी नहीं पता था कि अभी थोड़ी देर पहले उसके द्वारा बनाया गया पिंजरा कुछ लोगों के लिए दुनिया का सबसे सुंदर पिंजरा था. वह तो बचपन से ही पिंजरे बनाने का आदी था, और उसके लिए यह पिंजरा बनाना भी बाक़ी पिंजरों को बनाने से ज़्यादा मुश्किल नहीं रहा था.
“तो फिर तुम कुछ देर आराम कर लो,”उर्सुला ने कहा. “इस बढ़ी दाढ़ी में तुम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं हो.”
आराम करते समय उसे कई बार अपने झूले से उतरना पड़ा ताकि वह पड़ोसियों को अपना पिंजरा दिखा सके. इससे पहले उर्सुला ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया था. वह नाराज़ थी क्योंकि उसके पति ने बढ़ई की दुकान के अपने काम की उपेक्षा करके अपना सारा समय पिंजरा बनाने में अर्पित कर दिया था. पिछले दो हफ़्तों से वह ठीक से सो भी नहीं पाया था. नींद में वह अस्पष्ट-सा कुछ बड़बड़ाता रहता था. इस बीच उसे दाढ़ी बनाने की फ़ुर्सत भी नहीं मिली थी. किंतु बनने के बाद जब उर्सुला ने वह सुंदर पिंजरा देखा तो उसका ग़ुस्सा काफ़ूर हो गया. जब बाल्थाज़ार थोड़ी देर बाद सो कर उठा तो उसने पाया कि उर्सुला ने उसकी क़मीज़ और पैंट को इस्त्री कर दिया था. उसने उसके कपड़े झूले के पास ही एक कुर्सी पर रख दिए थे और वह पिंजरे को उठा कर खाना खाने वाली मेज़ पर ले आई थी. वहाँ वह उसे चुपचाप ध्यान से देख रही थी.
“तुम इसे कितने में बेचोगे ?”उसने पूछा.
“मैं नहीं जानता,” बाल्थाज़ार बोला. “मैं इसके एवज़ में तीस पेसो माँगूँगा ताकि मुझे इसके बदले में कम-से-कम बीस पेसो तो मिलें ही.”
“तुम इसके बदले में पचास पेसो माँगना,”उर्सुला ने कहा. “पिछले दो हफ़्तों से तुम ठीक से सोए भी नहीं हो. फिर यह पिंजरा काफ़ी बड़ा है. मुझे लगता है, मैंने अपने जीवन में इससे बड़ा पिंजरा नहीं देखा है.”
बाल्थाज़ार अपनी दाढ़ी बनाने लगा.
“क्या तुम्हें लगता है कि वे मुझे इस पिंजरे के लिए पचास पेसो देंगे ?”
“श्री चेपे मौंतिएल के लिए पचास पेसो कोई बड़ी रक़म नहीं है, और यह पिंजरा इस रक़म के योग्य है,”उर्सुला बोली. “तुम्हें तो इसके बदले में साठ पेसो माँगने चाहिए.”
मकान दमघोंटू छाया में पड़ा था. वह अप्रैल का पहला हफ़्ता था और बड़े कीड़ों के लगातार चिं-चिं-चिं का शोर करते रहने की वजह से गर्मी भी असहनीय होती जा रही थी. कपड़े पहनने के बाद बाल्थाज़ार ने आँगन का दरवाज़ा खोल लिया ताकि हवा के भीतर आने से कुछ ठंडक मिले. इस बीच बच्चों का एक झुंड खाना खाने वाले कमरे में घुस आया.
यह ख़बर चारों ओर फैल गई थी. अपने जीवन से ख़ुश किंतु अपने पेशे से थके हुए डॉक्टर ओक्टेवियो जिराल्डो अपनी बीमार पत्नी के साथ दोपहर का खाना खाते हुए बाल्थाज़ार के पिंजरे के बारे में ही सोच रहे थे. गरम दिनों में जहाँ वे मेज़ लगा देते थे, उस भीतरी आँगन में फूलों के कई गमले और पीत-चटकी चिड़िया के दो पिंजरे थे. उर्सुला को चिड़ियाँ पसंद थीं. वह उन्हें इतना चाहती थी कि उसे बिल्लियों से नफ़रत थी क्योंकि बिल्लियाँ चिड़ियों को खा सकती थीं. उर्सुला के बारे में सोचते हुए डॉक्टर जिराल्डो उस दोपहर एक मरीज़ को देखने गए, और जब वे लौटे तो वे पिंजरे का निरीक्षण करने के लिए बाल्थाज़ार के घर की ओर से निकले.
खाना खाने वाले कमरे में बहुत से लोग मौजूद थे. प्रदर्शन के लिए पिंजरे को मेज़ पर रखा गया था. तारों से बना उसका एक विशाल गुम्बद था. भीतर तीन मंजिलें बनी हुई थीं. वहाँ कई रास्ते और चिड़ियों के खाना खाने और सोने के लिए कई कक्ष बने हुए थे. चिड़ियों के मनोरंजन के लिए कुछ जगहों पर झूले लगाए गए थे. दरअसल वह पूरा पिंजरा किसी विशाल बर्फ़ बनाने वाले कारख़ाने का छोटा-सा नमूना प्रतीत होता था. डॉक्टर ने बिना छुए ध्यान से उस पिंजरे को जाँचा, और सोचने लगा कि वह पिंजरा अपनी ख्याति से भी बेहतर था. दरअसल अपनी पत्नी के लिए उसने जिस पिंजरे की कल्पना की थी, वह उससे कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत था.
“यह तो कल्पना की उड़ान की पराकाष्ठा है,”उसने कहा. उसने भीड़ में से बाल्थाज़ार को अपने पास बुलाया और अपनी पितृसुलभ आँखें उस पर टिकाते हुए आगे कहा, ”तुम एक असाधारण वास्तुकार होते.”
बाल्थाज़ार के मुख पर लाली आ गई.
वह बोला, “शुक्रिया.”
“यह सच है,”डॉक्टर ने कहा. वह अपने यौवन में सुंदर रही स्त्री जैसा था — बहुत मृदु, नाज़ुक और मांसल. उसके हाथ बेहद कोमल-सुकुमार थे. उसकी आवाज़ लातिनी भाषा बोल रहे किसी पुजारी जैसी लगती थी. “तुम्हें इस पिंजरे में चिड़ियाँ रखने की भी ज़रूरत नहीं,” उसने दर्शकों के सामने पिंजरे को गोल घुमाते हुए कहा, गोया वह उसकी नीलामी कर रहा हो. “इसे पेड़ों के बीच टाँग देना ही पर्याप्त होगा ताकि यह स्वयं वहाँ गीत गा सके.” उसने पिंजरे को वापस मेज़ पर रखा, एक पल के लिए कुछ सोचा और पिंजरे को देखते हुए बोला,“बढ़िया. तो मैं इसे ख़रीद लूँगा.”
“पर यह पहले ही बिक चुका है,”उर्सुला ने कहा.
“यह श्री चेपे मौंतिएल के बेटे का पिंजरा है,”बाल्थाज़ार बोला. “उन्होंने ख़ास तौर पर इसे बनाने के लिए कहा था.”
यह सुनकर डॉक्टर ने पिंजरे के लिए सम्मान का भाव अपना लिया.
“क्या उन्होंने इसकी रूपरेखा भी तुम्हें बताई थी?”
“नहीं,” बाल्थाजार ने कहा. “उन्होंने कहा था कि उन्हें अपनी काले सिर और लम्बी पूँछ वाली चिड़िया-जोड़े के लिए इसके जैसा ही एक बड़ा पिंजरा चाहिए.”
डॉक्टर ने पिंजरे की ओर देखा.
“लेकिन यह पिंजरा उस ख़ास जोड़े के लिए बना तो नहीं लगता.”
“डॉक्टर साहब, यह पिंजरा ख़ास उसी चिड़िया-जोड़े के लिए बनाया गया है,”मेज़ के पास पहुँचते हुए बाल्थाज़ार ने कहा. बच्चों ने उसे घेर लिया. “बहुत ध्यान से हिसाब लगा कर इसका माप लिया गया है,”अपनी उँगली से पिंजरे के कई कक्षों की ओर इशारा करते हुए वह बोला. फिर उसने अपनी उँगलियों की गाँठों से उसके गुम्बद पर हल्की-सी चोट की और पिंजरा अनुनाद से भर उठा.
“यह पाई जाने वाली सबसे मज़बूत तार है और हर जोड़ पर भीतर-बाहर से इसकी टँकाई की गई है,”उसने कहा.
“इस पिंजरे में तो तोता भी रह सकता है ,”एक बच्चे ने बीच में कहा.
“बिल्कुल रह सकता है,”बाल्थाज़ार बोला.
डॉक्टर ने अपना सिर मोड़ा.
“ठीक है. पर उन्होंने तुम्हें इस पिंजरे के लिए कोई रूपरेखा तो दी नहीं थी,”वह बोला.
“उन्होंने तुम्हें कोई सटीक विनिर्देश नहीं दिए थे, केवल इतना ही कहा था कि पिंजरा काले सिर और लम्बी पूँछ वाली चिड़िया-जोड़े को रखने जितना बड़ा होना चाहिए. क्या यह बात सही नहीं?”
“आप सही कह रहे हैं,”बाल्थाज़ार ने कहा.
“तब तो कोई समस्या ही नहीं,”डॉक्टर बोला. “काले सिर और लम्बी पूँछ वाली चिड़िया-जोड़े को रखने जितना बड़ा पिंजरा होना एक बात है और यही पिंजरा होना दूसरी बात है. इस बात का कोई प्रमाण नहीं कि तुम्हें इसी पिंजरे को बनाने के लिए कहा गया था.”
“लेकिन यही वह पिंजरा है,”बाल्थाज़ार ने चकराते हुए कहा .“मैंने इसे इसीलिए बनाया है.”
डॉक्टर ने व्यग्र होकर इशारा किया.
“तुम ऐसा ही एक और पिंजरा बना सकते हो,”उर्सुला ने अपने पति की ओर देखते हुए कहा. और फिर वह डॉक्टर से बोली,“आपको पिंजरा ख़रीदने की बहुत जल्दी तो नहीं है ?”
“मैंने अपनी पत्नी को आज दोपहर में ही पिंजरा ला कर देने का आश्वासन दिया था,” डॉक्टर ने कहा.
“मुझे बहुत खेद है, डॉक्टर साहब, किंतु मैं पहले ही बिक चुकी चीज़ को आपको दोबारा नहीं बेच सकता हूँ,”बाल्थाज़ार ने कहा.
डॉक्टर ने उपेक्षा के भाव से अपने कंधे उचकाए. अपनी गर्दन के पसीने को रुमाल से सुखाते हुए, उसने पिंजरे को चुपचाप सधी हुई किंतु उड़ती नज़र से ऐसे देखा जैसे कोई दूर जाते हुए जहाज़ को देखता है.
“उन्होंने इस पिंजरे के लिए तुम्हें कितनी राशि दी ?”
“साठ पेसो,”उर्सुला बोली.
डॉक्टर पिंजरे को देखता रहा. “यह बहुत सुंदर है,” उसने एक ठंडी साँस ली. “बेहद सुंदर.” फिर दरवाज़े की ओर जाते और मुस्कुराते हुए वह ज़ोर-ज़ोर से ख़ुद को पंखा झलने लगा, और उस पूरी घटना का निशान उसकी स्मृति से हमेशा के लिए ग़ायब हो गया.
“मौंतिएल बेहद अमीर है,”उसने कहा.
असल में जोस मौंतिएल जितना अमीर लगता था उतना था नहीं, लेकिन उतना अमीर बनने के लिए वह कुछ भी कर सकने में समर्थ था. वहाँ से कुछ ही इमारतों की दूरी पर उपकरणों से ठसाठस भरे एक मकान में, जहाँ किसी ने भी कभी ऐसी कोई गंध नहीं सूँघी थी जिसे बेचा न जा सके, जोस मौंतिएल पिंजरे की ख़बर से उदासीन था. मृत्यु की सनक से ग्रस्त उसकी पत्नी दोपहर के भोजन के बाद सभी दरवाज़े और खिड़कियाँ बंद करके दो घंटे के लिए लेट जाती थी, लेकिन उसकी आँखें कमरे के अँधेरे को देखती रहती थीं. जोस मौंतिएल उस समय आराम करता था.
बहुत सारी आवाज़ों के मिले-जुले शोर ने उस लेटी हुई महिला को चौंका दिया. तब उसने बैठक का दरवाज़ा खोला और अपने मकान के बाहर भीड़ को खड़ा पाया. उस भीड़ के बीच में सफ़ेद कपड़े पहने अभी-अभी दाढ़ी बना कर आया बाल्थाजार पिंजरा लिए हुए खड़ा था. उसके चेहरे पर मर्यादित सरलता का वह भाव था जो अमीरों के आवास पर आने वाले ग़रीबों के चेहरों पर होता है.
बहुत सारी आवाज़ों के मिले-जुले शोर ने उस लेटी हुई महिला को चौंका दिया. तब उसने बैठक का दरवाज़ा खोला और अपने मकान के बाहर भीड़ को खड़ा पाया. उस भीड़ के बीच में सफ़ेद कपड़े पहने अभी-अभी दाढ़ी बना कर आया बाल्थाजार पिंजरा लिए हुए खड़ा था. उसके चेहरे पर मर्यादित सरलता का वह भाव था जो अमीरों के आवास पर आने वाले ग़रीबों के चेहरों पर होता है.
“वाह, यह क्या आश्चर्यजनक चीज़ है !” पिंजरे को देखते ही जोस मौंतितिएल की पत्नी चहक कर बोली. उसके कांतिमय चेहरे पर एक उल्लसित भाव था और वह बाल्थाज़ार को रास्ता दिखाते हुए घर के भीतर ले गई. “मैंने अपने जीवन में इस जैसी बढ़िया चीज़ कभी नहीं देखी,”उसने कहा, लेकिन भीड़ के दरवाज़े तक आ जाने की वजह से उसने थोडा चिढ़ कर आगे कहा,“इससे पहले कि यह भीड़ इस बैठक-कक्ष को दर्शक-दीर्घा में बदल दे, तुम यह पिंजरा लेकर भीतर आ जाओ.”
जोस मौंतिएल के घर के लिए बाल्थाज़ार अजनबी नहीं था. अपने कौशल और बर्ताव के स्पष्टवादी तरीक़े की वजह से उसे कई मौक़ों पर बढ़ई के छोटे-मोटे काम करने के लिए वहाँ बुलाया गया था. लेकिन अमीर लोगों के बीच वह कभी भी ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पाता था. वह उनके तौर-तरीक़ों, उनकी बहस करने वाली झगड़ालू पत्नियों और भयंकर शल्य क्रियाओं को झेलने के उनके अनुभव के बारे में सोचता रहता था, और उसे हमेशा उनकी स्थिति पर तरस आता था. जब वह उनके मकानों में जाता तो ख़ुद को अपने पाँव घसीटने से नहीं रोक पाता था.
“क्या पेपे घर पर है ?” उसने पूछा.
उसने पिंजरा खाना खाने वाली मेज़ पर रख दिया.
“वह स्कूल गया है,”जोस मौंतिएल की पत्नी ने कहा. “लेकिन वह जल्दी ही घर आ जाएगा. मौंतिएल नहा रहे हैं.” उसने जोड़ा.
असल में जोस मौंतिएल को नहाने का समय ही नहीं मिला था. वह अपनी देह पर बहुत ज़रूरी मद्यसार लगा रहा था ताकि वह बाहर आ कर यह देख सके कि वहाँ क्या हो रहा है. वह इतना सतर्क व्यक्ति था कि वह बिना पंखा चलाए सोता था ताकि सोते समय भी उसे घर में आ रही आवाज़ों के बारे में पता रहे.
“एडीलेड,”वह चिल्लाया. “वहाँ क्या हो रहा है ?”
“यहाँ आ कर देखो, यह कितनी आश्चर्यजनक चीज़ है !” उसकी पत्नी ने वापस चिल्ला कर कहा.
अपने गर्दन के इर्द-गिर्द तौलिया लपेटे स्थूलकाय और रोयेंदार जोस मौंतिएल सोने वाले कमरे की खुली खिड़की पर प्रकट हुआ.
“वह क्या है ?”
“वह पेपे का पिंजरा है,”बाल्थाज़ार बोला. उसकी पत्नी ने हैरानी से उसकी ओर देखा.
“किसका ?”
“पेपे का,” बाल्थाज़ार ने कहा. और फिर जोस मौंतिएल की ओर मुड़कर वह बोला,“पेपे ने इसे अपने लिए बनाने के लिए मुझे कहा था.”
उसी पल तो कुछ नहीं हुआ लेकिन बाल्थाज़ार को लगा जैसे किसी ने उसके सामने नहाने वाले कमरे का दरवाज़ा खोल दिया था. जोस मौंतिएल अपने अधोवस्त्र पहने हुए ही सोने वाले कमरे में से बाहर आ गया.
“पेपे !” वह चिल्लाया.
“वह अभी स्कूल से वापस नहीं लौटा है,”उसकी पत्नी ने बिना हिले-डुले फुसफुसा कर कहा.
तभी पेपे दरवाज़े के सामने नज़र आया. वह लगभग बारह साल का लड़का था जिसकी आँखों की बरौनियाँ मुड़ी हुई थीं और जो दिखने में अपनी माँ जैसा ही शांत और दयनीय लगता था.
“यहाँ आओ,”जोस मौंतिएल ने उससे कहा. “क्या तुमने इसे बनाने की माँग की थी ?”
बच्चे ने अपना सिर झुका लिया. उसे बालों से पकड़ कर जोस मौंतिएल ने उसे मजबूर किया कि वह उससे आँखें मिलाए.
“मुझे जवाब दो.”
बच्चे ने बिना जवाब दिए अपने दाँतों से अपने होठ काटे.
“मौंतिएल,” उसकी पत्नी फुसफुसा कर बोली.
जोस मौंतिएल ने लड़के को जाने दिया और ग़ुस्से में वह बाल्थाज़ार की ओर मुड़ा.
“मुझे बहुत खेद है, बाल्थाज़ार,”उसने कहा. “लेकिन यह पिंजरा बनाने से पहले तुम्हें मुझसे बात कर लेनी चाहिए थी. केवल तुम ही किसी बच्चे के साथ ऐसा इकरारनामा कर सकते हो.”
बोलते-बोलते उसके चेहरे पर फिर से शांति और संयम का भाव लौट आया. पिंजरे की ओर देखे बिना उसने उसे उठाकर बाल्थाज़ार को दे दिया. “इसे तत्काल यहाँ से ले जाओ और जो भी इसे ख़रीदना चाहे, उसे बेच दो,” वह बोला. “इसके अलावा कृपया मुझसे बहस मत करना.” उसने बाल्थाजार का कंधा थपथपा कर कहा,“डॉक्टर ने मुझे क्रोधित होने से मना किया है.”
बच्चा तब तक बिना हिले-डुले और बिना पलकें झपकाए खड़ा रहा जब तक बाल्थाज़ार ने अपने हाथ में पिंजरा पकड़ कर उसकी ओर अनिश्चितता से नहीं देखा. तब उसने अपने गले से कुत्ते की गुर्राहट जैसी आवाज़ निकाली और चिल्लाते हुए फ़र्श पर लोटने लगा.
जोस मौंतिएल ने बिना विचलित हुए उसकी ओर देखा, जबकि बच्चे की माँ उसे शांत करने का प्रयास करने लगी. “उसे बिल्कुल मत उठाओ,”वह बोला. “उसे फ़र्श पर अपना सिर फोड़ने दो. फिर वहाँ नमक और नींबू लगा देना ताकि वह जी भर कर चिल्ला सके.” बच्चा बिना आँसू बहाए चीख़ता-चिल्लाता जा रहा था जबकि उसकी माँ ने उसे कलाइयों से पकड़ा हुआ था.
“उसे अकेला छोड़ दो,”जोस मौंतिएल ने बल देकर कहा.
बाल्थाजार ने बच्चे को ऐसी निगाहों से देखा जैसे वह मृत्यु के चंगुल में फँसे रेबीज़ रोग से ग्रस्त किसी जानवर को देख रहा हो. तब तक लगभग चार बज गए थे. उस समय उर्सुला अपने घर पर प्याज के फाँक काटते हुए एक बहुत पुराना गीत गा रही थी.
“पेपे,” बाल्थाज़ार ने कहा.
वह मुस्कुराते हुए बच्चे की ओर गया और उसने पिंजरा उसकी ओर बढ़ा दिया. बच्चा उछल कर खड़ा हो गया और उसने पिंजरे को अपनी बाँहों में ले लिया. पिंजरा लगभग उसके जितना बड़ा ही था. बच्चा पिंजरे के तारों के बीच में से बाल्थाज़ार को देखते हुए खड़ा रहा. वह नहीं जानता था कि वह क्या कहे. उसके चेहरे पर आँसू का एक भी क़तरा नहीं था.
“बाल्थाज़ार,” जोस मौंतिएल ने आवाज को नरम बनाते हुए कहा, “मैंने तुम्हें पहले ही कह दिया है कि तुम इस पिंजरे को यहाँ से ले जाओ.”
“पिंजरा लौटा दो,”महिला ने बच्चे से कहा.
“उसे रखे रहो,”बाल्थाज़ार बोला. और फिर उसने जोस मौंतिएल से कहा,“आख़िर मैंने यह पिंजरा इसी बच्चे के लिए बनाया है.”
जोस मौंतिएल उसके पीछे-पीछे चलते हुए बैठक में आ गया. “बेवक़ूफ़ी मत करो, बाल्थाज़ार,” उसका रास्ता रोक कर मौंतिएल कह रहा था,“अपना यह सामान अपने घर ले जाओ. मूर्खता मत करो. मैं तुम्हें इसके लिए एक पैसा नहीं देने वाला.”
“कोई बात नहीं,”बाल्थाज़ार बोला. “मैंने इसे ख़ास तौर से पेपे के लिए तोहफ़े के रूप में बनाया था. मैं इसके लिए आपसे कोई रक़म नहीं लेने वाला था.”
जब बाल्थाज़ार दरवाज़े पर रास्ता रोक रहे दर्शकों के बीच में से होकर गुज़र रहा था, उस समय जोस मौंतिएल बैठक में खड़ा हो कर चिल्ला रहा था. उसके चेहरे का रंग फीका पड़ गया था और उसकी आँखें लाल होने लगी थीं. जब बाल्थाज़ार सामूहिक खेल वाले मुख्य कक्ष में से हो कर गुज़रा तो वहाँ सब ने खड़े हो कर उत्साहपूर्ण ढंग से उसका स्वागत किया. उस पल तक उसने यही सोचा था कि इस बार उसने पहले से कहीं बेहतर पिंजरा बनाया था, और उसे यह पिंजरा जोस मौंतिएल के बेटे को देना पड़ा ताकि वह रोना-धोना बंद कर दे, हालाँकि इनमें से कोई भी चीज़ उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं थी. पर तब उसे यह अहसास हुआ कि कई लोगों के लिए यह सारा वाक़या महत्त्वपूर्ण था और इस बात से उसमें थोड़ा जोश आ गया.
“तो उन्होंने तुम्हें उस पिंजरे के लिए पचास पेसो दिए.”
“साठ,” बाल्थाज़ार बोला.
“वाह, तुम छा गए,” किसी ने कहा. “एक तुम ही हो जो श्री चेपे मौंतिएल से इतनी रक़म वसूल करने में कामयाब रहे. हमें इसका उत्सव मनाना चाहिए.”
उन्होंने उसे एक बीयर ख़रीद कर दी और बदले में बाल्थाजार ने सबके लिए जाम का एक दौर चलाया. चूँकि यह बाहर कहीं पीने का उसका पहला अवसर था, शाम का झुटपुटा होते-होते वह पूरी तरह से नशे में धुत्त् हो चुका था. नशे में वह एक हज़ार पिंजरों की एक आश्चर्यजनक कल्पित परियोजना के बारे में बात कर रहा था जहाँ हर पिंजरा साठ पेसो का होना था और फिर बढ़ते-बढ़ते यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना दस लाख पिंजरों तक पहुँच जानी थी. तब उसके पास छह करोड़ पेसो हो जाने थे.
“अमीर लोगों के मरने से पहले हमें बहुत सारी चीज़ें बना कर उन्हें बेचनी हैं,”नशे में धुत्त् वह बोलता चला जा रहा था. “वे सभी बीमार हैं, और वे सभी मरने वाले हैं. उन्होंने अपने जीवन का ऐसा सत्यानाश कर लिया है कि अब वे नाराज़ भी नहीं हो सकते.”
पिछले दो घंटे से रेकॉर्ड-प्लेयर पर बिना व्यवधान के गीत बजाने के पैसे बाल्थाज़ार ही दे रहाथा. सभी ने बाल्थाज़ार के स्वास्थ्य और सौभाग्य की सलामती तथा अमीरों की मृत्यु के नाम जाम पिया, लेकिन रात्रि के भोजन के समय उन्होंने उसे सामूहिक खेल वाले मुख्य कक्ष में अकेला छोड़ दिया.
रात आठ बजे तक उर्सुला ने बाल्थाज़ार के लौट आने की प्रतीक्षा की थी. उसने उसके लिए भुने हुए गोश्त की एक प्लेट, जिस पर कटे हुए प्याज़ की फाँकें पड़ी थीं, बचा कर रख छोड़ी थी. किसी ने उर्सुला को बताया था कि उसका पति सामूहिक खेल वाले मुख्य कक्ष में ख़ुशी से उन्मत्त, सबको ख़रीद कर बीयर पिला रहा था. लेकिन उसने इस बात पर यक़ीन नहीं किया क्योंकि बाल्थाजार कभी भी नशे में धुत्त् नहीं हुआ था.
जब वह लगभग मध्य-रात्रि के समय सोने के लिए बिस्तर पर गयी, उस समय बाल्थाज़ार एक ऐसे रोशन कमरे में था जहाँ छोटी-छोटी मेज़ें लगी थीं, जिनके इर्द-गिर्द चार-चार कुर्सियाँ थीं. वहीं बाहर एक नृत्य-स्थल भी था जहाँ छोटी पूँछ और लम्बी टाँगों वाली चिड़ियाँ चहलक़दमी कर रही थीं. उसके चेहरे पर कुंकुम जैसी लाली थी, और क्योंकि वह अब एक और क़दम भी चलने की स्थिति में नहीं था, वह दो स्त्रियों के साथ हमबिस्तर हो जाना चाहता था.
उसने वहाँ इतने रुपए-पैसे ख़र्च कर दिए थे कि उसे यह कह कर अपनी घड़ी गिरवी रखनी पड़ी थी कि वह कल बाक़ी की रक़म चुका देगा. कुछ पल बाद जब वह अपने हाथ-पैर फैलाए गली में गिरा पड़ा था तो उसे अहसास हुआ कि कोई उसके जूते उतार कर लिये जा रहा है, लेकिन वह अपने सबसे सुखी दिन का परित्याग नहीं करना चाहता था. सुबह पाँच बजे की प्रार्थना-सभा में जाने वाली उधर से गुज़र रही महिलाओं ने उसकी ओर देखने का साहस भी नहीं किया क्योंकि उन्हें लगा कि वह मर चुका था.
जब वह लगभग मध्य-रात्रि के समय सोने के लिए बिस्तर पर गयी, उस समय बाल्थाज़ार एक ऐसे रोशन कमरे में था जहाँ छोटी-छोटी मेज़ें लगी थीं, जिनके इर्द-गिर्द चार-चार कुर्सियाँ थीं. वहीं बाहर एक नृत्य-स्थल भी था जहाँ छोटी पूँछ और लम्बी टाँगों वाली चिड़ियाँ चहलक़दमी कर रही थीं. उसके चेहरे पर कुंकुम जैसी लाली थी, और क्योंकि वह अब एक और क़दम भी चलने की स्थिति में नहीं था, वह दो स्त्रियों के साथ हमबिस्तर हो जाना चाहता था.
उसने वहाँ इतने रुपए-पैसे ख़र्च कर दिए थे कि उसे यह कह कर अपनी घड़ी गिरवी रखनी पड़ी थी कि वह कल बाक़ी की रक़म चुका देगा. कुछ पल बाद जब वह अपने हाथ-पैर फैलाए गली में गिरा पड़ा था तो उसे अहसास हुआ कि कोई उसके जूते उतार कर लिये जा रहा है, लेकिन वह अपने सबसे सुखी दिन का परित्याग नहीं करना चाहता था. सुबह पाँच बजे की प्रार्थना-सभा में जाने वाली उधर से गुज़र रही महिलाओं ने उसकी ओर देखने का साहस भी नहीं किया क्योंकि उन्हें लगा कि वह मर चुका था.
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(Balthazar : the name is of Greek origin, meaning `God save the King.’ He was one of the three wise men who travelled to Judea to pay homage to the infant Jesus. The Biblical source of the name is significant.)
“उर्सुला को चिड़ियाँ पसंद थीं. वह उन्हें इतना चाहती थी कि उसे बिल्लियों से नफ़रत थी क्योंकि बिल्लियाँ चिड़ियों को खा सकती थीं. उर्सुला के बारे में सोचते हुए डॉक्टर जिराल्डो उस दोपहर एक मरीज़ को देखने गए, और जब वे लौटे तो वे पिंजरे का निरीक्षण करने के लिए बाल्थाज़ार के घर की ओर से निकले.”
Hello sir, yhaa Ursula ki baat nhi ho rhi, doctor ki wife ki ho rhi hai, jiska naam mention nhi hai story mein. Doctor saab apni wife ke bare mein sochte hain Ursula ke bare nhi. so please correct. Thank You.
Huge respect. 🙂