गंगूबाई हंगल की स्वर-यात्रा: पंकज पराशर
हिंदी समाज में वैसे तो साहित्य को लेकर भी कोई ख़ास उत्साह नहीं रहा है, पर कलाओं को लेकर तो ...
Home » पंकज पराशर
हिंदी समाज में वैसे तो साहित्य को लेकर भी कोई ख़ास उत्साह नहीं रहा है, पर कलाओं को लेकर तो ...
इधर हिंदी में साहित्य के अलावा पेंटिंग, नाटक, शास्त्रीय-संगीत, नृत्य आदि की तरफ भी लेखकों और आलोचकों का ध्यान गया ...
१९ वीं और २० वीं सदी की संधि बेला हिंदुस्तान में कला, संगीत, नृत्य के लिए किसी आपदा से कम ...
व्याख्यान सुनने (यहाँ पढने) का फायदा यह है कि आप एक बैठकी में ही व्याख्याता के वर्षों के अध्ययन, शोध ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum