इक्कीसवीं सदी का हिंदी साहित्य : आचार्य द्विवेदी और अज्ञेय
१९६७ में अज्ञेय ने आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी से यह जानना चाहा था कि इक्कीसवीं सदी का हिंदी साहित्य कैसा होगा. ...
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१९६७ में अज्ञेय ने आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी से यह जानना चाहा था कि इक्कीसवीं सदी का हिंदी साहित्य कैसा होगा. ...
1934 में अज्ञेय की कहानी ‘गैंग्रीन’ प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक बाद में स्वयं लेखक ने बदलकर ‘रोज़’ कर दिया. उस ...
हेमंत देवलेकर बहुमुखी व्यक्तित्व रखते हैं. अभिनय, संगीत, नाट्य लेखन, रंग-कर्म, कविताएँ आदि उनके क्षेत्र हैं. युवा रचनाकारों की अचूक ...
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का आज जन्म दिन है आज ही के दिन 7 मार्च,1911 को कुशीनगर में उनका जन्म ...
अज्ञेय की लंबी कविता ‘ओ नि:संग ममेतर’ की तरफ ध्यान कम गया है और उसकी चर्चा भी नहीं दिखती है. ...
अज्ञेय सम्पूर्ण रचनाकार थे. कवि, उपन्यासकार, कहानीकार, संपादक, पत्रकार, गद्य लेखक आदि, अपनी बहुज्ञता और विविधता में जयशंकर प्रसाद की ...
अज्ञेय सम्पूर्ण रचनाकार थे. कवि, उपन्यासकार, कहानीकार, संपादक, पत्रकार, गद्य लेखक आदि, अपनी बहुज्ञता और विविधता में जयशंकर प्रसाद की ...
परम्परा से परे जाने के लिए भी परम्परा को पार करना होता है. धँस कर गहरे अंदर. कलाओं में इसीलिए ...
रघुवीर सहाय ने अज्ञेय के लिए एक सुंदर वाक्य लिखा है कि मानव मन को खंडित करने वाली पराधीनता के ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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