निर्वास : पीयूष दईया की कविताएँ
अंतहीन पन्नों की कॉपी के किसी कोरे पन्ने पर यह जो आज तिथि अंकित की गयी है, उसे नव वर्ष ...
अंतहीन पन्नों की कॉपी के किसी कोरे पन्ने पर यह जो आज तिथि अंकित की गयी है, उसे नव वर्ष ...
राहुल द्विवेदी की कुछ कविताएँ २०१७ में समालोचन में प्रकाशित हुईं थीं. इस बीच बहुत कुछ घटित हुआ उनके जीवन में ...
उषा राय की लम्बी कविता ‘आग से गुज़रती हवाएं’ समकालीन भारत में स्त्रियों पर लगातार हो रहे हिंसक, बर्बर हमलों ...
पंजाब की मिट्टी का असर वहाँ की उगी कविताओं में है चाहे उसकी भाषा कोई भी हो. सत्यपाल सहगल की ...
के. मंजरी श्रीवास्तव की ये पाँचों कविताएँ सीधे-सीधे रंगमंच से जुड़ी हैं, रंग-प्रस्तुतियों के सम्मोहक अनुभव से अंकुरित ये पाँचों ...
‘कई बार सुबह-सुबह घर से निकलते हैं और सड़क पर रात मिल जाती है.’ साहित्य में रात और दिन ...
‘चमकते प्रकाश में घुल-मिल गईं उषाएं’ऋग्वेद (मण्डल:१,सूक्ति:९२.२, अनुवाद-गोविन्द चंद्र पाण्डेय) सूर्य और जल भारतीय संस्कृति के केंद्र में हैं. ...
वैद्य को कविराज भी कहा जाता था. प्राचीन सभी विद्याएँ छंद की ...
दोहा ‘हिंदी’ का जातीय छंद है, जिस छंद में कबीर और बिहारी आदि महाकवि लिख चुके हों उसमें कुछ नया ...
‘At the end of my sufferingthere was a door.’Louise Glück समकालीन कवियों पर आधारित स्तम्भ ‘मैं और मेरी कविताएँ’ के ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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