हिरणी का विनय पत्र ! : बोधिसत्व
लोक सहज ही मार्मिक है, विशिष्ट को साधारण बनाकर सुख-दुःख उससे जोड़ देता है. जिसे शास्त्र कहने में हिचकते हैं ...
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लोक सहज ही मार्मिक है, विशिष्ट को साधारण बनाकर सुख-दुःख उससे जोड़ देता है. जिसे शास्त्र कहने में हिचकते हैं ...
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