अबके मरेंगे तो बदली बनेंगे : संतोष अर्श
‘अपनों में नहीं रह पाने का गीत’ तथा ‘बंजारा नमक लाया' के बाद ‘अबके मरेंगे तो बदली बनेंगे’ प्रभात की ...
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‘अपनों में नहीं रह पाने का गीत’ तथा ‘बंजारा नमक लाया' के बाद ‘अबके मरेंगे तो बदली बनेंगे’ प्रभात की ...
'क्योंकि मेरी समस्त यादें /सताई हुई नहीं हैं.' __ वरिष्ठ कवि अरुण कमल ने प्रभात के पहले संग्रह ‘अपनों में ...
असमति के इस दूसरे अंक में विनोद दास, लीलाधर मंडलोई, नवल शुक्ल, सविता सिंह, पवन करण, प्रभात, केशव तिवारी, प्रभात ...
प्रभात की कविताओं पर लिखते हुए अरुण कमल ने माना है कि ‘यह हिंदी कविता की उंचाई भी है और ...
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