आत्महत्या के विचार के इर्दगिर्द : बाबुषा कोहली
रूटीन की निरर्थकता भी एक सामाजिक आत्महत्या ही है. आत्महत्या के विचार की सुरंग में प्रवेश करती बाबुषा कोहली की ...
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रूटीन की निरर्थकता भी एक सामाजिक आत्महत्या ही है. आत्महत्या के विचार की सुरंग में प्रवेश करती बाबुषा कोहली की ...
बाबुषा कोहली अपने उपन्यास ‘लौ’ से इधर चर्चा में हैं. वह ऐसे कुछ लेखकों में हैं जिन्होंने अपना पाठक वर्ग ...
नई सदी की हिंदी कविता में जिन कवियों ने कथ्य और शिल्प को लेकर बड़े बदलाव संभव किये हैं उनमें ...
बाबुषा कोहली किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. नई सदी की हिंदी कविता का जो मुहावरा बना है उसमें उनकी ...
युवा कवयित्री बाबुषा कोहली की कविताओं की निर्मिति में सघन संवेदनात्मक बिम्बों और मिथकों की आदमकद आकृतियाँ का रचाव है. ...
हिन्दी में प्रेम–कवितायें कम हैं, ब्रेक-अप पर तो नहीं के बराबर. युवा कवयित्री बाबुषा कोहली की लंबी कविता ‘ब्रेक-अप’ इस ...
"बाबुषा की कविताओं की तासीर कुछ ऐसी है कि वसंत में कोयल की कूक को खुरच-खुरच कर बगीचों के हवाले ...
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