एक फ़िक्शन निगार का सफ़र: ख़ालिद जावेद
किताबों की यात्राएँ भाषाओं की नदी में अनुवाद के सहारे तय होती हैं और इनका सभ्यागत योगदान है. किसी को ...
Home » शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी:
किताबों की यात्राएँ भाषाओं की नदी में अनुवाद के सहारे तय होती हैं और इनका सभ्यागत योगदान है. किसी को ...
लेखक, आलोचक, शोधकर्ता और संपादक शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी (३० सितम्बर, १९३५ - २५ दिसम्बर २०२०) उर्दू और अंग्रेजी में लिखते थे. ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum