कोश्का: अरुण खोपकर : अनुवाद: रेखा देशपाण्डे
‘बिल्लियाँ होती हैं अच्छी हर कहीं /ये तमाशा सा है बिल्ली तो नहीं’ (मीर). फ़ारसी, तुर्की, अरबी आदि भाषाओं में ...
Home » 2024 संस्मरण
‘बिल्लियाँ होती हैं अच्छी हर कहीं /ये तमाशा सा है बिल्ली तो नहीं’ (मीर). फ़ारसी, तुर्की, अरबी आदि भाषाओं में ...
प्रियंवद प्रसंग में ओमा शर्मा का यह संस्मरण भी प्रस्तुत है. व्यक्ति, कथाकार, संपादक और साहित्य के कार्यकर्ता के रूप ...
तेजी ग्रोवर हमारे समय की विरल और विशिष्ट रचनाकार हैं. जहाँ उन्होंने नॉर्वीजी, स्वीडी, फ़्रांसीसी, लात्वी आदि भाषाओं के साहित्य ...
इस ‘साथ-साथ’ में दिल्ली का करोल बाग है. घर-परिवार, दोस्त और मुलाक़ातें हैं. भीष्म साहनी की शोर करती मोटर साइकिल ...
दस खंडों में विभक्त सौमित्र मोहन की लम्बी कविता ‘लुकमान अली’ ‘कृतिपरिचय’ पत्रिका में 1968 में प्रकाशित हुई थी. इस ...
सर्गेई आइज़ेन्श्टाइन (Sergei Eisenstein : 22 जनवरी,1898-11 फ़रवरी,1948) रूस के प्रसिद्ध सिने निर्देशक और विचारक थे. उन्हें फ़िल्म संपादन की ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum