अवधूत कापालिकों का मार्ग और अन्य कविताएँ : बजरंग बिहारी तिवारी
संस्कृत भाषा की समकालीन कविताओं से हम लगभग अपरिचित हैं. समालोचन ने वर्षों पहले बलराम शुक्ल की संस्कृत कविताएँ और ...
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संस्कृत भाषा की समकालीन कविताओं से हम लगभग अपरिचित हैं. समालोचन ने वर्षों पहले बलराम शुक्ल की संस्कृत कविताएँ और ...
पवन करण के कविता संग्रह ‘स्त्री मुग़ल’ की कविताओं में इतिहास, आख्यान और संवेदना का सहमेल है. जिन्हें इतिहास भुला ...
‘मतलब हिन्दू’ के कुछ हिस्से समालोचन पर प्रकाशित होकर पहले ही चर्चित प्रशंसित हो चुके हैं. अब यह ‘हिन्दू त्रयी’ ...
यतीन्द्र मिश्र ने अपने रचनात्मक जीवन की शुरुआत कविता से की थी फिर वह कला-लेखन की ओर मुड़ गये. एक ...
संकीर्ण विचारों से देश तो क्या परिवार नहीं चल सकते. गणतंत्र उदात्त विचारों की नींव पर खड़े होते हैं. करुणा ...
हिमालय और उसके समाज पर शेखर पाठक दशकों से लिख रहे हैं. उनकी पुस्तक ‘हिमांक और क्वथनांक के बीच’ केवल ...
‘वक़्त-ज़रूरत’, कथा, आलोचना और संपादन में भी सक्रिय अविनाश मिश्र (5 जनवरी, 1986) का तीसरा कविता संग्रह है जो अभी-अभी ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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