कर्फ़्यू की रात : फ़रीद ख़ाँ
‘कर्फ़्यू की रात’ कथाकार शहादत का दूसरा कहानी संग्रह है. उन्होंने उर्दू शायर ज़हीर देहलवी की आत्मकथा ‘दास्तान-ए-1857’, मकरंद परांजपे ...
‘कर्फ़्यू की रात’ कथाकार शहादत का दूसरा कहानी संग्रह है. उन्होंने उर्दू शायर ज़हीर देहलवी की आत्मकथा ‘दास्तान-ए-1857’, मकरंद परांजपे ...
एक ऐसे समय में, जब सोशल मीडिया के कारण चित्त की चंचलता बढ़ी है, एकाग्रता की अवधि घट गई है, ...
20वीं सदी के महान साहित्यकारों में से एक फरनांदो पेसोआ (13 जून, 1888 – 10 नवम्बर, 1935) ने अपने जीवन ...
श्रीनारायण समीर ने अनुवाद के सिद्धांत और सृजन को केंद्र में रखते हुए अपना शोधकार्य बेंगलुरु विश्वविद्यालय से पूर्ण किया ...
ललित कला अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे विशिष्ट अलंकरणों से सम्मानित प्रख्यात चित्रकार कृष्ण खन्ना (जन्म: 5 ...
हिंदी साहित्य के अग्रणी उन्नायक जयशंकर प्रसाद के नाटक ‘चंद्रगुप्त’ के प्रारंभिक संस्करण में आजीवक प्रसंग तीन दृश्यों में आया ...
एक निर्वासित देश छह दशकों से किसी दूसरे देश में अपनी स्मृति, वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं के साथ रह ...
रमेश ऋषिकल्प प्राय; लम्बे प्रवास पर रहते हैं. यूरोप की यात्राओं ने उनके एकांत को जहाँ भरा है वहीं उनकी ...
बहस जब व्यक्ति से प्रवृत्तियों की ओर अग्रसर होती है, तो वह विमर्श की दिशा में मुड़ जाती है. उसमें ...
‘एहतलाम’ को हिंदी में ‘स्वप्नदोष’ कहा जाता है. लगभग हर मर्द इस दौर से गुज़रता ही है. लेकिन न जाने ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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