‘गोदान’ में राय साहब का धनुष-यज्ञ: रविभूषण
हिंदी के वरिष्ठ आलोचक रविभूषण बुद्धिजीवियों की ज़िम्मेदारी समझते हैं. इसी शीर्षक से उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुई है जिसमें ...
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हिंदी के वरिष्ठ आलोचक रविभूषण बुद्धिजीवियों की ज़िम्मेदारी समझते हैं. इसी शीर्षक से उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुई है जिसमें ...
कालजयी कृतियाँ अपने पाठ की असीम संभावनाएं समेटे रहती हैं. ‘गोदान’(1936) को तरह-तरह से पढ़ा गया है पर जिस तरह ...
मनीष दिल्ली विश्वविद्यालय में शोध अध्येता हैं, वे वर्तमान में ‘फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य में भूमि, जाति एवं राजनीति का ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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