मार्क्सवाद का नवीकरण: चंचल चौहान
बारीकी और सावधानी से जब मुद्रित पाठ को देखा जाता है तब उसके संरचनात्मक और वैचारिक दोनों अंतर्विरोध खुल कर ...
Home » मार्क्सवाद का नवीकरण
बारीकी और सावधानी से जब मुद्रित पाठ को देखा जाता है तब उसके संरचनात्मक और वैचारिक दोनों अंतर्विरोध खुल कर ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum