पंजाबी भाषा के कवि गुरप्रीत की कविताएँ आपने समालोचन पर पढ़ीं हैं. इस कड़ी में आज पंजाबी कवयित्री बिपनप्रीत की बीस कविताओं का हिंदी अनुवाद आपके लिए प्रस्तुत है. बिपनप्रीत के दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं और वे अपने महीन और नाज़ुक ख्याल के लिए जानी जाती हैं. इन कविताओं का अनुवाद कवि- लेखक रुस्तम और अम्बरीश ने कवयित्री की मदद से किया है.
ओस
ओट में
काश
याद
चुप्पी
अभी-अभी
रात भर
लाश
ओम
जो सुनाई नहीं देता
कहती
जो जानती नहीं
लिखती
जो पढ़ नहीं पाती
और करने के बीच
नींद है सपना
डर और सन्नाटा
ओम की धुन
गहरी नींद में मैं.
समाधी
मौन —
समुद्र पानी में तैरता पत्थर
ऊपर मछली
फल
पैरों से लिपटी
चोंचें ज़ख़्मी करते
लार में मिठास बन टपक रही
फल पक चुका
काट दिए गये
अमरूद के
फल गिन रही.
ईश्वर
गुलाबी पंजों से
अपने पंख सहला रही
तड़प
परछाइयों की
असंख्य परतें बिछी हुईं
पेड़ सूरज आकाश
पक्षी पहाड़
जो पानी में से निकलकर
फ़ना होना चाहता था
पानी चीरकर
ढूँढ रही थीं अपनी जगह पानी तड़प रहा था
या कि आनन्द में था
इसी तरह
टिमटिमाहट है
तुम इसी तरह
मेरा हाथ
ज़ोर से पकड़े रहो
छलाँग लगानी है.
शब्द
मुँह से धुआँ उगलते
एक-दूसरे की आँखों में
कहानी पढ़ रहे
भाषा रच रही.
डूब रही
डूब रही मैं
पर मुझे खींचता नहीं
सूरज
धड़ाम से फेंक डालूँ
सूरज को.
स्वार्थी
अपने लिए
पक्षियों को
उड़ा देती हूँ
मेरा उधड़ा हुआ स्वेटर देख
खिलखिला कर हँस रहा है.
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(by Hengki Koentjoro) |
आखिरी पल
मेरे आखिरी पल में
मिल सकोगे वैसे ही
जैसे पहले पल में मिले थे ?
भूल जाऊँगी मैं
और यह भी
कि कभी हम
मिले भी थे.
खाली पन्ना
वह खाली निकला
कश्ती बना ली
और ठेल दी
बारिश के पानी में
कर रही हूँ समंदर पार.
धोखा
पर आवाज़ अपनी
सुनाई नहीं देती
बेगानी हूँ
अंधेरे में जाना चाहती है
मैं खुद को सुनना चाहती हूँ.
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