पंजाबी
बिपनप्रीत की कविताएँ(पहले आठ अनुवाद : हिन्दी कवि रुस्तम द्वारा. शेष अनुवाद : कवयित्री की मदद से पंजाबी कवि अम्बरीश एवम् रुस्तम द्वारा) |
ओस
ओट में
काश
याद
चुप्पी
अभी-अभी
रात भर
लाश
ओम
जो सुनाई नहीं देता
कहती
जो जानती नहीं
लिखती
जो पढ़ नहीं पाती
और करने के बीच
नींद है सपना
डर और सन्नाटा
ओम की धुन
गहरी नींद में मैं.
समाधी
मौन —
बुलबुलों में
समुद्र
पानी में तैरता पत्थर
ऊपर मछली
फल
पैरों से लिपटी
चोंचें ज़ख़्मी करते
लार में मिठास बन टपक रही
फल पक चुका
काट दिए गये
अमरूद के
फल गिन रही.
ईश्वर
चिड़िया के गर्भ में कहकशां
दाना-दाना चुगती
गुलाबी पंजों से
अपने पंख सहला रही
तड़प
परछाइयों की
असंख्य परतें बिछी हुईं
पेड़ सूरज आकाश
पक्षी पहाड़
जो पानी में से निकलकर
फ़ना होना चाहता था
सूरज की किरणें
पानी चीरकर
ढूँढ रही थीं अपनी जगह
पानी तड़प रहा था
या कि आनन्द में था
इसी तरह
टिमटिमाहट है
तुम इसी तरह
मेरा हाथ
ज़ोर से पकड़े रहो
छलाँग लगानी है.
शब्द
मुँह से धुआँ उगलते
एक-दूसरे की आँखों में
कहानी पढ़ रहे
भाषा रच रही.
डूब रही
डूब रही मैं
पर मुझे खींचता नहीं
सूरज
धड़ाम से फेंक डालूँ
सूरज को.
स्वार्थी
अपने लिए
पक्षियों को
उड़ा देती हूँ
मेरा उधड़ा हुआ स्वेटर देख
खिलखिला कर हँस रहा है.
(by Hengki Koentjoro) |
आखिरी पल
मेरे आखिरी पल में
मिल सकोगे वैसे ही
जैसे पहले पल में मिले थे ?
भूल जाऊँगी मैं
और यह भी
कि कभी हम
मिले भी थे.
खाली पन्ना
वह खाली निकला
कश्ती बना ली
और ठेल दी
बारिश के पानी में
कर रही हूँ समंदर पार.
धोखा
पर आवाज़ अपनी
सुनाई नहीं देती
बेगानी हूँ
अंधेरे में जाना चाहती है
मैं खुद को सुनना चाहती हूँ.
बिपनप्रीत का पहला कविता संग्रह “जनम” २००९ में प्रकाशित हुआ था. उसके बाद उन्होंने बड़ी तेजी से पंजाबी कविता के परिदृश्य में अपनी विशेष जगह बना ली. चीज़ों को देखने का उनका नज़रिया और उनको कविता में लाने का तरीका ठेठ उनके अपने हैं. उनका दूसरा कविता संग्रह “रफूगर” अभी हाल ही में २०१८ में प्रकाशित हुआ है. वे अमृतसर में रहती हैं.
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